जब सभी ने होंठ पर विद्रोह के स्वर रख लिये,
एह्तियातन हमने अपने होंठ सी कर रख लिये.
दिल में मेला सा लगा था ,इसलिये बेचैन था,
चन्द सन्नाटे चुरा कर दिल के अन्दर रख लिये.
सब समारोहों में जाने के लिये तैयार थे,
राम मुंह पर था, बगल में सबने खंजर रख लिये.
पूजना सब चाहते थे ,अपने अपने इष्ट को,
सबने आलों में सजाकर अपने ईश्वर रख लिये.
जब भी धोखों की नदी में डूबने का मन हुआ,
हमने अपने दिल के अन्दर चन्द पत्थर रख लिये.
युं कहा करते थे मेरे दोस्त ,कुछ अपनी सुना,
मेज़ पर , बापू के, मैने तीन बन्दर रख लिये
6 comments:
युं कहा करते थे मेरे दोस्त ,कुछ अपनी सुना,
मेज़ पर , बापू के, मैने तीन बन्दर रख लिये
बहुत सुन्दर लिखा है अरविन्द भाई
सबने आलों में सजाकर अपने ईश्वर रख लिये.
बहुत ख़ूब लिखा है अरुण जी, बधाई !
rcuczबात कुछ अच्छी सुनाने के लिये हो बज़्म में
सोचकर मैने, यही अशआर लिख कर रख लिये
युं कहा करते थे मेरे दोस्त ,कुछ अपनी सुना,
मेज़ पर , बापू के, मैने तीन बन्दर रख लिये
अच्छा लगा पढ़कर .....बधाई
सही है.
बहुत अच्छा लिखा है।
युं कहा करते थे मेरे दोस्त ,कुछ अपनी सुना,
मेज़ पर , बापू के, मैने तीन बन्दर रख लिये
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