Thursday, July 5, 2007
गरीबी की रेखा: अमीरी की रेखा
इधर कुछ खबरें ऐसी आयीं हैं जो हमको ,आपको,सबको सोचने पर मज़बूर करने वाली हैं. मुझे ज्यादा फर्क़ नही पडा जब खबर आयी कि कार्लोस ने बिल गेट्स को पीछे छोडते हुये अमीरी की सूची में पहला स्थान बना लिया.परंतु में हिल सा गया जब मैने पढा कि एक दलित नेता ने अपनी सम्पत्ति की घोषणा की और कहा (या कहने का दुस्साहस किया) कि मेरे पास 52 करोड रुपये की सम्पत्ति है. मै सोचने पर फिर मज़बूर हुआ जब खबर आयी कि अज़ीम प्रेम ज़ी के पास 15 हज़ार करोड की पूंजी है, या मुकेश अम्बानी अपने महल के निर्माण पर 250 करोड रुपये खर्च करने वाले है. इन सब खबरों को यदि अलग अलग देखा जाये तो शायद विशेष फर्क़ नही पड़्ता .परंतु जब इन खबरों के साथ आप को ज्ञात हो कि भारत की 30 प्रतिशत जनता की रोज़ाना कमाई एक अमरीकी डालर ( अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गरीबी का यही पैमाना है)से भी कम है ,यानी कि लगभग 40 रुपये रोज़ से भी कम, तो फिर एक बार आप सोचने पर मज़बूर होते हैं या नही, यह दर्शाता है कि आपअपने आसपास के परिवेश से कितने जुडे है और आपकी सम्वेदनशीलता कितनी है.
एक क्षण को यदि हम मान भी लें कि आखिर इसमे हम कर ही क्या सकते है. किसी भी समाज में बराबरी तो सम्भव है ही नही ( जी हां, कम्युनिष्ट देशों में भी नही, और इसके बहुत से प्रमाण मौजूद हैं) और हर व्यक्ति अपनी अपनी किस्मत लेकर ही पैदा होता है. गरीब यदि अपनी किस्मत से ही गरीब है तो अधिक कुछ नही तो इतना तो कर ही सकते है कि कभी कभार अपनी आइसक्रीम एक दिन छोड़्कर उसकी कुछ मदद कर दी जाये.
किंतु इससे भी बडा प्रश्न है कि क्या उपभोग की भी कोई सीमा होनी चाहिये ? हाल ही में ज्ञात हुआ कि ब्राज़ील के सओ-पोलो नगर में जितने भी अरबपति हैं वे 50 -50 फुट ऊंची चहार्दीवारी बनाकर अपने मकानों के अन्दर क़ैद होकर रहने पर मज़्बूर हैं क्योंकि आसपडोस में निकल भी आये तो लुटेरे उन्हे लूट लेंगे एसा खतरा है. ऐसी बदबूदार अमीरी ( अंग्रेज़ी के स्टिंकिंग रिच का अनुवाद) वाले लोगों के लिये क्या कोई अमीरी की रेखा होनी चाहिये?
हम यह आकलन करते है कि एक व्यक्ति को कम से कम कितनी आय होनी चाहिये कि वह दो वक़्त पेट भर कर खाना खा सके. इसे हम गरीबी की रेखा मानते है. संयुक्त राष्ट्र संघ व उसकी अन्य एजेंसियां इस सीमा को एक डौलर प्रतिदिन मानती हैं . भारत में यह सीमा प्रतिदिन कार्य के लिये आवश्यक ऊर्जा ( कैलोरी में) पर आधारित की गयी है. इसी प्रकार हम आकलन कर सकते हैं कि एक व्यक्ति को एक दिन में अधिकतम कितनी ऊर्जा चाहिये तथा वह ऊर्जा महंगे से महंगे किन श्रोतों से प्राप्त हो सकती है.विलासिता के महत्तम साधन जुटाने के लिये प्रति-व्यक्ति प्रतिदिन कितने धन की आवश्यकता होगी, इसका आकलन कोई विशेष कठिन तो नही होना चाहिये.
यदि एसा किया जाये तो अमीरी की रेखा कहा निश्चित हो, इस पर सोच विचार की आवश्यकता है. मैँ इस काम पर लगा हूं और शीघ्र ही विस्तार से इस विषय पर चर्चा करूंगा. कृपया अपने मत से अवगत करायें.
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