पिछले दो दिन से अस्पताल के बिस्तर पर पड़ा पड़ा ब्लोगवाणी व चिट्ठाजगत पर ढूंढ ढूंढ कर ब्लोग पढ़ रहा हूं.15 -20 कमेंट भी मार चुका हूं ( इतनी टिप्पणियां तो महीने भर में भी नहीं हो पाती) इतने दिनों से समय भी नहीं मिल पा रहा था. डाक्टर ने कहा था आज अस्पताल से छुट्टी मिल जायेगी परंतु फिर निर्णय बदल दिया. एक तरह् से अच्छा हुआ. कल घर से लेपटोप मंगवा कर एक दिन के वाई फाई कनेक्शन के लिये दिये 200 रुपये वसूलने थे और सेहत पूरा साथ दे रही थी ,ऊपर से डाक्टर से अनुमति भी मिल गयी थी.
जो ब्लोग कभी पढे नहीं थे ,उन पर भी तांक झांक कर आया . अपनी पसन्द के उन ब्लोगों की पुरानी पुरानी पोस्ट का भी ढूंढ ढूंढ कर जायज़ा लिया. यहां वहां टिप्पणी मार कर खुद को खुश कर लिया. बीच बीच में ब्लोगवाणी व चिट्ठाजगत का चक्कर भी लगा आया .
हिन्दी ब्लोगिंग का एक नया रूप देखने को मिला. कुछ नये ब्लोग्गर अच्छा लिख रहे हैं. हां, वाद् विवाद् भी साथ साथ बढते जा रहे हैं.
विविधता बहुत बढ गयी है जो एक अच्छा लक्षण है.
हैप्पी ब्लोग्गिंग.