वही हुआ जिसका डर था.वेस्ट इण्डीज़ में अप्रैल में होने वाले टी-20 विश्वकप के लिये भारतीय टीम की घोषणा तो कर दी किंतु चूक फिर हो गयी.
भारत एक बार इस टूर्नामेंट का चेम्पियन रह चुका है अत: हर भारतीय क्रिकेट प्रेमी उम्मीद कर रहा था कि चयनकर्ता ऐसी टीम का चयन करेंगे जो इस बार फिर विश्व विजेता बनने की सम्भावना रखती हो.
शाम तक आते आते जब टीम की घोषणा हुई तो एक बार फिर चोंकना पड़ा. टीम के 15 खिलाडियों में चार ऐसे नाम हैं जो इस टीम को कमज़ोर बनाते हैं. जब मुझ जैसा ( क्रिकेट प्रेमी एवं )मामूली जानकार इस कमज़ोरी को देख सकता है तो फिर विशेषज्ञ चयन कर्ता क्यों नहीं?
क्या वे किसी दबाब में कार्य कर रहे हैं? या कमज़ोर खिलाडी को शामिल करने में भी कोई रणनीति है?
इस टीम में जिन खिलाडियों के नाम पर कोई दूसरी राय हो ही नहीं सकती वे हैं: धोनी, सहवाग, गम्भीर ,सुरेश
रैना, युवराज, युसुफ पठान, रविन्द्र जदेजा, हरभजन ,ज़हीर खान, प्रवीण कुमार, दिनेश कार्तिक. यहां विनय कुमार का नाम भी जोड़ा जा सकता है.
किंतु जिन नामों को मैं कमज़ोर मानता हूं और जिनकी ज़गह पर दूसरा खिलाड़ी चुन जाना चाहिये था ,वह निम्न है:--
अशिष नेहरा ( इर्फान पठान ), पीयुष चावला ( पी. ओझा या अशीष मिश्र ), रोहित शर्मा ( मनीष पांडे या शिखर धवन).
मेरी राय में इन तीनों ने हाल फिलहाल कोई बहुत अच्छा परफोर्मेंस तो नहीं ही दिया है. साथ ही उनके स्थान को भरने के लिये कई और नाम हैं किंतु आई पी एल -3 के शोरशराबों में किसी का ध्यान उधर भले ही ना गया हो.
वर्तमान परिस्थियों में सब कुछ देखते हुए उक्त तीन स्थानों पर इरफान पठान, अशीष मिश्र,और मनीष पांडे के नाम जुडना चागिये था.
बाकी.. सब ऊपर वाले की मर्ज़ी पर चलता है ...
4 comments:
चलिए, आशा पर आसमान टिका है..अच्छे की उम्मीद करिये!
क्रिकेट एक आपराधिक गतिविधि है। काश ऐसा दौर आए जब हम क्रिकेटेतर खेल गतिविधियो में देश की प्रतिभाओं को आगे बढ़ते देखें। फिलहाल तो क्रिकेटेतर खेल गतिविधियों के नाम पर बने संगठनों में भ्रष्टाचार का क्रीड़ांगन गुलजार रहता है। यह बारहमासी खेल है।
लानत है ऐसे क्रिकेट प्रेम पर। (कृपया इसे खुद पर कटाक्ष न समझें, मेरी भावना समझें।)
@Udan Tashtari
यह आशा भी ना......
@अजित वडनेरकर
जहां तक क्रिकेटेतर खेल गतिविधियों का सम्बन्ध है, मेरी पूरी सहमति है.
किंतु क्रिकेट को लेकर आप बिलकुल दूसरे छोर पर खडे हैं , जहां से क्रिकेट की छवि बहुत धुन्धली ,अस्पष्ट सी ही दिखती है. किंतु मैं आपकी राय का पूरा सम्मान करता हूं.
रही भ्रष्टाचार की बात, वह भारतीय जनमानस की नस नस में व्याप्त है और उसके लिये हम में से हर कोई थोडा थोडा जिम्मेदार है.
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