Sunday, June 29, 2008

जा रहा हूं, मगर लौट कर आऊंगा

जा रहा हूं, मगर लौट कर आऊंगा,
सबसे कहना सही वक्त पर आऊंगा.


मैं जवां हूं, भट्कने में कुछ डर नहीं,
जब भी थक जाऊंगा,अपने घर आऊंगा.


दूर था ,इसलिये सबने देखा नहीं
हर जगह देखना अब नज़र आऊंगा.


जंग छोटी - बडी कोई होती नहीं
जंग जैसी भी हो जीत कर आऊंगा.

चौंकना मत अगर मेरी दस्तक सुनो,
देके आने की पहले खबर ,आऊंगा .


आगे जो भी सफर,होंगे अपने ही पर
पंख थे जो पराये, कतर आऊंगा .



आके वापस दुबारा न जाना पडे,
पूरा करके ही अपना सफर आऊंगा.


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Saturday, June 28, 2008

जा रहा हूँ मगर लौट कर आऊंगा

Friday, June 27, 2008

मैं यहीं हूं, यहीं कहीं हूं

अप्रैल 2007 में चिट्ठाकारी शुरु करने के बाद यह दूसरा मौका है कि मेरे सभी ब्लौग ( भारतीयम, बृजगोकुलम एवं दिल्ली एक्सप्रेस) लगभग दो माह तक नितांत सूने व खामोश रहे.

कारण गिनाने से क्या फायदा? बस यही काफी होगा कि परिवारिक व्यस्ततायें तथा विवश्तायें समय निकालने ही नही देती. हां अभी कुछ और वक़्त लगेगा.

इस बीच यदि ब्लोग से दूर रहा हूं तो समय अन्य कार्यों में लग ही रहा है अत: कुछ खिन्नता तो है पर कुंठा नहीं.
रचनात्मक लेखन, कवि सम्मेलन भी निरंतर जारी हैं.
कुछ यात्रायें भी ,इस बीच, हो गयीं. इन यात्राओं का विवरण भी शीघ्र ही किसी ब्लोग पर आयेगा.
एक अधूरी सी गज़ल अगली पोस्ट में कल ही दूंगा.


जा रहा हूं मगर लौट कर आऊंगा.......