Sunday, May 16, 2010
मेरी यूरोप यात्रा -8- पेरिस का पहला दिन्
पेरिस में हमारे साथ आये छात्र गाइड पीटर ने हमारे मतलब की सारी जानकारी एकत्र कर रखी थी. जब हमने एकमत से कहा कि अब दिन भर के बाद खा रहे हैं तोभारतीय खाना ही मिले तो बेहतर . उसने तुरंत वह ज़गह बता दी जहां हमारी पसन्द का खाना मिल सकता था.
उसने तुरंत हम सभी को व्यक्तिगत रूप से मेट्रो की दो दो टिकटें दीं और कहा कि एक जाने के लिये और दूसरी वापस आने के लिये.
पेरिस में मेट्रो की 1 घंटे की टिकट लगभग डेढ़ यूरो ( नब्बे भारतीय रुपये) की होती है. इस टिकट से यात्री कितने ही बार अलग अलग रूट पर यात्रा कर सकता है बशर्ते यात्रा एक ही घंटे में पूरी की गयी हो. पेरिस में मेट्रो का ज़ाल बिछा हुआ है. क्रिस क्रोस करती हुई तेरह भिन्न लाइनें हैं अनेक स्टेशनॉं पर दो तल व किन्ही पर तीन तल के मेट्रो स्टेशन हैं यह तेरह विभिन्न लाइनें हर दूसरे या तीसरे स्टेशन पर एक दूसरे से मिलती हैं और यात्री यहां ट्रेन बदलते हैं . पूरी पेरिस का सफर इन मेट्रो व बसों से के ऊपर निर्भर है.
चूंकि पीटर साथ में था अत: आवश्यकता नहीं थी, फिर भी पेरिस की मेट्रो का नक़्शा व गाइड लेकर देखा तो एक बार देखने से ही पूरी पेरिस का सफर समझ में आ गया. न केवल गाइड में बहुत ही सरल तरीके से जानकारी दी गयी है, बल्कि हरेक स्टेशन पर इतने सहज दिशा संकेतक हैं कि नया व्यक्ति भी तुरंत सब कुछ समझ सके. यह सब इस्लिये कि पर्यटक यदि फ्रेंच भाषा नहीं भी जानता तो कोई दिक्कत नहीं .
तीन बार मेट्रो बदल बदल कर हम पहुंचे Rue Jarry ( Rue का मतलब है street यानी गली ). रयू जार्री पहुंच कर लगा कि हम किसी एसियाई बस्ती में हैं. भारतीय, पाकिस्तानी व श्रीलंकाई लोग अपनी भाषा में ज़गह ज़गह बात करते दिखे. यहां इन्दिरा रेस्त्रां था, तो कृष्ण भवन भी. साड़ी की दुकान भी और हिन्दी सीडी ,डीवीडी की दुकान भी.इस गली में दो बडे जनरल स्टोर भी दिखे. टूथपेस्ट खरीदने एक में गया तो लगा कि स्टोरे ऎशिय्याई खरीदारों के लिये ही था. भारतीय नमकीन से लेकर घरेलू उपयोग की सामग्री तक ,फूलमाला ,चन्दन ,दुपट्टे....सभी कुछ भारत जैसा.
हममें से कुछ ने कृष्णा भवन में शाकाहरी दक्षिण भारतीय् खाना खाया तो अन्य ने इन्दिरा रेस्त्रां मे चिकेन के साथ बीयर का लुत्फ भी उठाया. वे लोग खुश थे क्यों कि बीयर के साथ चिकेन हमारे शकाहारी खाने की तुलना में सस्ता था.
तीन बार मेट्रो बदलते हुए लग्भग 11.30 बजे वपस होटल पहुंचे.होटल सिटाडाइन में बहुत ही आरामदायक कमरे थे , साथ में किचनेट भी ठीक परंतु हमारे पास चाय बनाने का कुछ सामान नहीं था. किंतु लोबी में 24 घंटे चाय.कौफी मुफ्त उपलब्ध थी. नेट पर पहले मेल चेक की , फिर सोने से पहले ‘मुफ्त’ कौफी का आनन्द लेने लौबी में गया.
पेरिस का पहला दिन लाज़बाब था.
( आगे.. पेरिस में बहुत कुछ है ..)
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4 comments:
बढ़िया वृतांत पेरिस का...आगे इन्तजार जारी है.
आपके ब्लॉग पर पहली बार आया हूँ , अच्छा लगा.
यात्रा वृत्तांत अच्छा है
http://madhavrai.blogspot.com/
http://qsba.blogspot.com/
@समीर जी,
धन्यवाद. अभी तो काफी कुछ बाकी है
@माधव जी,
पधारने का धन्यवाद .
स्वागत भी .
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