Saturday, June 12, 2010

मेरी यूरोप यात्रा -9- मोनालिसा के ‘साक्षात’ दर्शन








हम दुनिया के किसी भी कोने में रहें कुछ चीजें बिना बदले लगभग एक जैसी ही रहती हैं मसलन ‘कोंटीनेंटल’ ब्रेकफास्ट. पेरिस के सिटाडाइन होटल में भी वही ‘कोंटीनेंटल’ ब्रेकफास्ट, रुचिकर तरीके से सजा हुआ मिला.ताजे फलों मे अनन्नास भी था. मुझे अपने अल्पज्ञ होने का आभास हुआ जब मैने किसी से पूछा कि इस फल को यहां क्या कहते हैं. जवाब सुनकर ताज़्ज़ुब करने की बारी मेरी थी,जब उसने कहा ‘अनन्नास’.मैं तो अब तक यही समझता आया था कि अनन्नास एक हिन्दी शब्द है.


आज पेरिस में हमारा दूसरा दिन था.पहले दिन यानी कल, एफिल टोवर के इर्द-गिर्द चार घंटे घूमते रहने पर भी एफिल टावर को ऊपर चढकर नहीं देखा था. यह आज के लिये छोड़ा हुआ था. भरपेट नाश्ता लेकर कल वाली प्रक्रिया दोहराते हुए हम फिर उसी सेन नदी के किनारे पहुंचे जो पेरिस का मुख्य पर्यटक बिन्दु है.मेट्रो स्टेशन से लगभग आधा कि.मी. चल कर रास्ते में यहां वहां फोटो खींचते हुए एफिल टोवर पहुंचे. एक बार फिर शुरू हुआ फोटो खींचने खिंचवाने का सिलसिला.

इस बीच हम टिकट की लाइन में भी लग लिये थे जो काफी लम्बी थी. दिन के ग्यारह बज चुके थे और पर्यटकों की तादाद प्रतिपल बढती जा रही थी.लाइन में लगे हुए लोगों के इर्द-गिर्द हौकर आ आकर अपने अपने सामान की बिक्री के प्रयास कर रहे थे. तभी हमें माइक के ज़रिये बताया गया कि भीड अधिक होने के कारण अभी तीन मंज़िल से ऊपर जाने की अनुमति नहीं है. तीन मंज़िल तक का किराया 8 यूरो है तथा जो व्यक्ति और ऊपर की मंज़िलों में जाना चाहते है, उन्हें अतिरिक्त किराया देना पड़ता है. हमने तय किया कि हन तीन मंज़िल तक ही जायेंगे.





ज़मीन से लगभग 30 अंश के कोण बनाती हुई लिफ्ट ( जिसमे बीस –बाईस व्यक्ति रहे होंगे ) के सहारे हमने ऊपर उठना शुरू किया. मैंने ‘सतह से उठता हुआ आदमी’ की छवि को वीडियो में कैद करने के लिये कैमरा ओन कर दिया. कुछ सेकंडों में हम तीसरी मंज़िल पर थे. बाद में हमने पाया कि दूसरी मंज़िल पर कुछ सोविनीयर्स की दुकानें, प्रसाधन आदि की सुविधा व छोटी से चाय-पानी की दुकान सी है.






पेरिस का सारा का सारा शहर सामने था और हम एक सम्राट की तरह आंखे फैला फैला कर शहर को अपने ‘कब्ज़े’ मे पाकर खुशी महसूस कर रहे थे.

हमने चारों ओर घूम घूम कर शहर के दृश्यों को कैमरे में कैद किया. और लगभग डेढ घंटे बाद नीचे उतरे.
आज का हमारा अगला पड़ाव था Notre Dame Cathedral, built in 1300 AD ( one of the oldest catholic churches of the world).खयाल समय का भी रखना था क्योंकि केथेड्रल के बाद हमें LOUVRE म्यूज़ियम जाना था , जो विश्व का विशालतम कला संग्रहालय कहलाता है .

केथेड्रल पहुंचते पहुंचते मेरे कैमरे की बैटरी कम्ज़ोर हो गयी थी,और मैने अजय के कैमरे की सहायय्त्ता लेना शुरू किया ( देखें चित्र)



केथेड्रल से निकलने पर हमरा अगला पड़ाव था University of Sorborne. हम पैदल ही निकल लिये और खरामा खरामा चलते हुए पहुंचे LOUVRE म्यूज़ियम.

यहां का विशाल डोम देखकर प्रसन्नता हुई. पीटर ने बताया कि यह कुछ वर्ष पूर्व ही बना है और अब इस विशाल म्यूज़ियम का प्रवेश इसी डोम के अन्दर से है. य़ह विश्व का सबसे बडा कला संग्रहालय है. विश्व भर के कला प्रेमी यहां आते हैं और कई कई दिन बिता कर पूरा देख पाते हैं.







संग्रहालय में जाने से पहले हमने बाहर मनोहारी (क़्रत्रिम) तालाब के किनारे बैठकर फोटो खींचे /खिंचवाये फिर गये अन्दर. आज सोमवर था और इस दिन म्यूज़ियम 6.30 पर ही बन्द हो जाता है अत: हमारे पास सीमित समय था. अत: तय हुआ कि सबसे पहले लियोनर्दो दा विंची की मशहूर कलाकृति ‘मोनालिसा’ के दर्शन किये जायें. समय रहने पर ही शेष संग्रह देखा जाये. हालांकि बाहर लिखा हुआ था कि कैमरा लेकर जाना मना है ( क्यों ???) मगर हर दर्शक के हाथ कैमरा देखकर तसल्ली हुई कि साक्षात मोनालिसा की ‘असली’ मुस्कान को हम कैद कर सकेंगे.





एक के बाद एक गैलरी पार करते रहे .लगा कि कुछ छूट गया है. पूछने पर ज्ञात हुआ कि मोनालिसा तो पीछे छोड आये हैं. मुख्य हौल से हटकर एक अलग गैलरी है जिसमें सर्वाधिक सुरक्षा है और वहीं भीड भी सबसे ज्यादा थी. मोनालिसा की तस्वीर खींचने के लिये मारा मारी थी.मैंने न केवल चित्र लिये ( देखॆं) बल्कि वीडियो भी बनाया. उसके बाद ही अन्य गैलरी की तरफ बढे.

विश्व प्रसिद्ध sculptures भी यहां है माइकेल एंजेलो,वीनस, ( Michaelangelo,Venus, Adonis,Other Greek gods, Cupid ) एक से बढकर एक कला के जीते जागते नमूने . सचमुच लगा कि हम ने कला की राजधानी देख ही ली.






शाम हो चली थी. सोचा कि होटल जाने से पहले खाना भी खाते चलें. ‘भारतीय’ भोजन की गली हम देख ही चुके थे. तय हुआ कि आज दक्षिण भारतीय दोसा आदि खाते हैं . फिर वही गली.. फिर वही ...
रात 9.30 पर पहुंचे होटल

1 comment:

संगीता पुरी said...

चित्रों के माध्‍यम से यूरोप की सैर करा दी आपने !!