Saturday, May 8, 2010

मेरी यूरोप यात्रा 5 - आंसी की सैर-अद्भुत् नज़ारे

भरपेट आलू ,चीज़ व घास फूस ( मेरे मांसाहारी मित्र यही शब्द प्रयोग करते हैं) खाने के बाद अब नौकायन की बारी थी. जल्दी जल्दी में गाइड से यह पूछना भूल गये कि किस बोट में हमें जाना है. खाना खाकर नदी के किनारे खरामा खरामा चलते हुए झील की तरफ बढे. झील के किनारे किनारे अनेक भोजनालय व बार हैं. इस मौसम में यूरोप वासी धूप का खूब आनन्द उठाते हैं और ओपेन एयर भोजनालय, कौफी घर या बार आदि पसन्द करते हैं.



























चूंकि यह एक पर्यटक स्थल हैयहां सब तरह के मज़मेबाज़ भी होते हैं. कहीं दो तीन गायक मिल्कर सडक किनारे गिटार या अन्य साज़ लेकर गा रहे होते हैं तो कहीं कलाकर फुटपाथ पर तस्वीरें बना रहे होते हैं. केरीकेचर (कार्टून0 बनाने वाले भी कई दिखे. कहीं कोई केनवास पर तस्वीर बना रहा था तो बोर्ड पर. सब बिक्री के लिये भी उपलब्ध थी.
झील के पास विशाल हरा भरा क्षेत्र भी था, फव्वारे भी थे, युवा युगल जोडे भी आनद के लिये सभी तरफ बिखरे थे. मेरे छात्र अजय ने अपने निकोन कैमरे से ऐसे कई चित्र लिये,उस कैमरे का ज़ूम तो गज़ब का है. सैकड़ो मीटर दूर की तस्वीर भी क्लोज- अप जैसी लगती है.

चूंकि बोट ( जिसको पेमेंट पहले ही हो चुका था) की जानकारी नहीं थी,अत: दर्ज़नों उपलब्ध विभिन्न आकार वाली ( मोटर बोट ,पेडल बोट, आदि) बोट में एक हमने 60 यूरो ( एक घंटा) में तय की.बोट स्वामी ने चलाना सिखाया और पानी में धकेल दी. एरिल ने मोटरबोट का स्टीयरिंग सम्भाला.
हमें लगा एक घंटा कुछ ज्यादा हो जायेगा तथा सोविनीयर आदि की खरीद के लिये समय नहीं बचेगा क्यों कि हमारी वापसी की ट्रेन 5.30 पर थी. यह सोच कर आधा घंटा घूम कर वापस आ गये.

बाज़ार घूमा, छुट्पुट खरीदारी करते हुए स्टेशन की तरफ जा रहे थे कि बाज़ार में एक हार्ले डेविडसन मोटर साइकिल दिख गयी. कृश्नेन्दु को इसका क्रेज़ जैसा था अत: उसीकी फोटो खींचने में लग गये. फिर बाइक के स्वामी /स्वामिनी आ गये. वे अमरीकी पुलिस के सिपाही थे.



जब मेरा सामान कल शाम तक नहीं मिला था तो मैने अपनी ट्रेवल एजेंसी को मेल भेजी थी और पूछा था कि क्या कोई बीमा का क्लेम बनता है ? जवाब आया कि ज़रूर, किंतु बीमा वाले आवश्यक वस्तुओं की खरीद की रसीद मांगेंगे. कपडों की तो किल्लत हो ही रही थी, अत: सोचा कि लगे क्लेम के लिये रसीद भी मिल जायेगी, कुछ कपड़े ( स्वेटर, कैप, अंतर्वस्त्र, धूप का चश्मा,आदि वहीं आंसी के बाज़ार से ही खरीद डाले. सोचा कि सामान तो देर-सवेर मिलेगा ही साथ ही 100 डालर का क्लेम भी मिल जायेगा.,

वापसी की त्रेन पकडकर वापस आये . जब पहुंचे तो मेरे कमरे में मेरा खोया सामान वापसी की रसीद , एयर्लाइंस का पत्र आदि सब मिल गया. खुशी हुई.




चित्र सं. 1 अद्भुत नज़ारा
चित्र सं. 2-बोट का आनन्द्
चित्र सं. 3- आंसी झील का किनारा और हम..
चित्र स.4 -अजय के कैमरे से
चित्र स. 5 आंसी में- बस यूं ही
चित्र सं. 6 पेंटिंग्स की एक लघु गैलरी
चित्र स. 7 चित्रकार ने बनाई पेंटिंग्स बाज़ार में
चित्र स. 8 गुड़िया को घुमाती गुड़िया -आंसी के बाज़ार में

(आगे---हमने ढूंढा बोम्बे पेलेस रेस्त्रां ..मगर...)

1 comment:

विवेक रस्तोगी said...

हार्ली डेविडसन की फ़ोटो...