Wednesday, September 12, 2007
सचिन तेन्दुलकर्: दुर्भाग्य का शिकार या किसी साजिश का ?
शुक्र है कि क्रिकेट मैच अब वीडियो कैमरों के साये में ही होते है. कहीं कोई भी चूक हुई तो तुरंत फुरंत पकड में आ जाती है. यही बात मैचों की अम्पायरिंग पर भी लागू होती है.
अम्पायर जब गलती कर देता है, तो कम से कम उसे स्वयम पता होता है कि गल्ती हुई है,भले ही अन्य लोगों ने वो गलती नोटिस भी न की हो.
खिलाडी को भी पता होता है क़ि कितनी बार आउट होते हुए भी अम्पायर की गलती से उसे जीवनदान मिल जाता है. कई महान खिलाडी हुए हैं जो ऐसे अवसरों पर स्वयं ‘वाक’ (walk) कर जाते हैं.अब जमाना बदल गया है.
Moral values बदल गयी है.Cricket अब कहीं ज्यादा competetive हो गया है.अब ‘वाक’ करने वाले कम ही होते हैं. इसके ठीक उलट कभी कभी अम्पायर से दूसरी किस्म की गलती भी हो जाती है. यानि खिलाडी आउट न होते हुए भी अम्पायर द्वारा आउट दे दिया जाना.कोई भी स्तरीय अम्पायर जान बूझ कर तो ऐसा करने से रहा.किंतु जब बार बार किसी टीम को लगे कि उसकी विरोधी टीम के खिलाडियों को आउट नहीं दिया जा रहा अथवा टीम विशेष ( या खिलाडी विशेष) को निशाना बनाकर फैसले दिये जा रहे हैं तो क्रिकेट का मजा चला जाता है.
टीम विशेष के साथ अम्पायरों के पक्षपाती व्यवहार के एक नहीं अनेक उदाहरण हैं और क्रिकेट खेलने वाली सभी टीमें कभी न कभी इसका शिकार हुई हैं.
ताजा सन्दर्भ सचिन तेन्दुलकर का है,विशेष्कर अभी हाल में सम्पन्न England दौरे का. पूरी श्रंखला में पांच अवसर ऐसे रहे जहां सचिन इस ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ स्थिति का शिकार बने.
1.लोर्डस के मैदान पर पहले टैस्ट की पहली इनिंग में स्टीव बकनर द्वारा पगबाधा(LBW) दिया जाना जब leg से बाहर जाती inswinger पैर पर लगी.
2.उसी मैच की दूसरी इनिंग में फिर स्टीव बकनर द्वारा के off stump बाहर जाती गेंद पर फिर lbw दिया जाना जब के वह forward भी खेल रहे थे.
3.टेंटब्रिज में दूसरे टेस्ट की पहली इनिंग में 91 के निजी स्कोर पर फिर lbw ,जब कि गेंद साफ तौर पर बाहर जा रही थी. इस बार अम्पायर थे साइमन टुफ्फेल .
4. 99 के अपने स्कोर पर अम्पायर इयान गुल्ड द्वारा विकेट के पीछे कैच आउट तब जब कि गेंद सचिन के कोहनी के guard से लग कर गयी थी .
5. एक बार फिर,इस बार अलीम डार द्वारा कैच आउट जब कि बल्ले और गेंद के बीच बहुहुहुहुत सारा फासला था, और साफ तौर पर कैच नहीं था.
इसे दुर्भाग्य कह कर टालना नादानी है.किंतु प्रश्न है कि अम्पायरों को सचिन से क्या दुश्मनी या खुन्नस हो सकती है,कि अनेक देश के अम्पायर बार बार ऐसी भूल करें, वो भी तब जब उनके पास टीवी replay का भी विकल्प मौजूद था.
फिर क्या सचिन के विरुद्ध कोई साजिश है ? मैं तो निश्चित तौर पर इसे एक साजिश समझता हूं,परंतु किसके द्वारा और क्यूं रची जा रही है ये साजिश, फिलहाल् समझ से परे है .
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
3 comments:
भई सीधी सी बात है, अम्पायर आज भी पुराने ढर्रे पर चलते हैं और तीसरे अम्पायर से रन-आउट के अतिरिक्त बाकी मामलों में सलाह लेने को अपनी हेठी समझते हैं, नतीजा यह होता है कि खिलाड़ी उनके इस झूठे अहं का शिकार होते हैं!! ICC को यह नियम बना देना चाहिए कि यदि अम्पायर को किसी निर्णय में संदेह हो तो वह तीसरे अम्पायर से सलाह ले और यदि तीसरा अम्पायर देखे कि फील्ड पर मौजूद अम्पायर ने गलत निर्णय दिया है तो वह उस अम्पायर से संपर्क कर उसको निर्णय सही करने को बोले!!
दुर्भाग्य ही मानिये. काहे साजिश का शक करना और किस किस पर?
@समीर जी, दुर्भाग्य तो है ही. परंतु कहीं न कहीं लगता है कि गोरे लोग ईर्ष्या के शिकार है,जहां तक सचिन का सम्बन्ध है.
@ अमित जी ,बिल्कुल सही सुझाव है,पर न जाने क्योँ ICC इसे स्वीकारता नहीं?
Post a Comment