Monday, September 17, 2007
टी वी देखकर समय से पहले बड़े हो रहे हैं बच्चे
एक टीवी कार्यक्रम मे ग्यारह वर्षीया बच्ची ने मोहक नृत्य प्रस्तुत किया . विशेषज्ञ पैनल सदस्य ने आलोचना के बाद कहा कि अब एक धुन बजेगी, धुन वाला फिल्मी गाना पहचान कर उस पर नृत्य करके दिखाना होगा. फिर यादों की बारात फिल्म का एक लोक्प्रिय गाना बजाया गया. बच्ची उसे नहीं पहचान पाई. एंकर महिला ने संगीतज्ञों से कहा "कोई ऐसा गाना बजायॆ, जिससे बच्चे रिलेट कर सकें तथा आसानी से पहचान कर सकें". फ़िर गाने की धुन बजी ' भीगे होंठ तेरे प्यासा मन मेरा, लगे अभ्र सा मुझे तन तेरा, कभी मेरे साथ एक रात गुजार,...'. झट से बच्चे ने गाना पहचान लिया.
ये है आजकल की नई पीढी.
उसी कार्यक्रम में बच्चों के मुख से गाये जाने वाले और गाने कैसे होंगे, सहज ही अन्दाज़ा लगाया जा सकता है.
कुछ समय पहले मैने 'अमूल मैचो अंडर वीयर' के विज्ञापन पर एक पोस्ट लिखकर उसे अश्लील की संज्ञा दी थी.मेरे एक प्रोफेसर मित्र ने उस समय यही कहा था,जो इस पोस्ट का शीर्षक है-टी वी देखकर समय से पहले बड़े हो रहे हैं बच्चे .
अभी पूर्व भारत के एक नगर में पुलिस ने कुछ सार्वजनिक पार्कॉं में छापे मार कर अश्लील हरकतें करते हुए कुछ नाबालिग बच्चों को पकडा था.
ये है आजकल की नई पीढी.
स्कूलों में आये दिन होने वाली सांस्कृतिक कार्यक्रमों में ' चोली के पीछे ...से लेकर,कांटा लगा ..जैसे लोकप्रिय गानों पर नृत्य करते आठवर्ष से लेकर बारह वर्ष की आयु वाले बच्चे मिल जायेंगे. इन्हे ये गाने गाने की प्रेरणा भी अपने शिक्षकों से ही मिली होगी ये भी सच है.
हिन्दी के अनेक चैनलों पर इस प्रकार के कार्यक्रम हैं .बूगी वूगी, छोटे उस्ताद, होन्हार, आदि कार्यक्रम मूलत: बच्चों में छिपे टेलेंट को बाहर लाने के लिये भले हों, किंतु क्या इन्हे अनियंत्रित करके हम बच्चों के असमय जवान नहीं बना रहे ?
दोष किसका है? टेलीविजन का ? या हम सबका ?
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5 comments:
इब्तिदां-ए-अनैतिकता है ये, रोता है क्या, आगे-आगे देखिये होता है क्या (गर्भधारण किये हुए किशोरियाँ, गरबे के नौ दिनों में कंडोम की सर्वाधिक बिक्री)... हम सब दोषी हैं, समय गिनेगा उनके भी अपराध जो तटस्थ हैं...
गंभीर विमर्श .. इसे आगे बढ़ाएं. कई कोणों से विचार ज़रूरी है.
क्या कर सकते है समय के साथ गलत परिवर्तन । विषय अच्छा है आप । यही भारत के भविष्य है।
इस विषय पर आप अनुगूँज का आयोजन करें. सबके विचार मिलेंगे.
सच सामने है. वो मासूमियत, वो बचपना, सब बदले से रुख लेकर सामने आ रहे हैं.
समाधान ढूँढना हैं, हल पाना हैं!!!!!!!!!! कैसे??
देवी
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