Friday, January 1, 2010

काल चिंतन के कालजयी लेखक को श्रद्धांजलि


कादम्बिनी के पूर्व सम्पादक श्री राजेन्द्र अवस्थी नहीं रहे. अवस्थी जी सही अर्थों में एक साहित्यकार-पत्रकार थे. उन्होने जहां एक पत्रकार के रूप मे मापदण्ड स्थापित किये वहीं अपने साहित्य सृजन मे अद्भुत सफलता प्राप्त की.

कादम्बिनी के सम्पादकीय काल में काल चिंतन के माध्यम से पाठ्कों को विचारों की एक पूरी श्रंखला दे गये. कादम्बिनी पत्रिका के तंत्र मंत्र विशेषांकों को संग्रहणीय बनाने मे अवस्थी जी की सामग्री चयन व सम्पादकीय नीति का ही योगदान था.

एक गम्भीर विचारक और वक्ता के रूप में भी अवस्थी जी का विशेष सम्मान हासिल था. समाज, साहित्य, पत्रकारिता ,राजनीति आदि विषयों पर सम्भाषण हेतु गम्भीर विषयों पर सारगर्भित विचारों के लिये अवस्थी जी को अक्सर सभा, गोष्ठियों में आमंत्रित किया जाता था और वहां श्रोता बड़े ध्यान से उनकी बात सुनते थे.

मेरे दूसरे काव्य संन्ग्रह चीखता है मन के विमोचन के अवसर ( सन 2000 ,स्थान कांस्टीट्यूशन क्लब,नई दिल्ली) पर वह उपस्थित थे और उन्होने हिन्दी गज़ल एवम हिन्दी कवि सम्मेलनों की परम्परा पर अपने विचार व्यक्त किये. वह हिन्दी कवि सम्मेलनों में बढ़ती फूहडता व चुटकुले बाज़ी से नाखुश थे.

काल चिंतन के कालजयी लेखक को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि.

(ऊपर चित्र में मेरे गज़ल संग्रह के विमोचन के अवसर पर श्री राजेन्द्र अवस्थी एवम श्री सत्य नारायण जटिया के साथ मैं भी उपस्थित)

2 comments:

अर्कजेश Arkjesh said...

अवस्‍थी जी को श्रद्धांजलि ।

Udan Tashtari said...

विनम्र श्रद्धांजलि.