आजकल समाचार पढ़ना या सुनना बोझीला सा लगने लगा है. समाचार जानकारी कम देते हैं,विचलित अधिक करते है . यह सिलसिला काफी लम्बे अर्से से ज़ारी है. राजनीतिक समाचार इतना क्षोभ भर देते हैं कि उससे बाहर आना मुश्किल हो जाता है. राज ठाकरे ,मनसे, शिवसेना आदि का अर्थ ज़हर बुझी खबर हो गया है.
सचिन तेन्दुलकर के क्रिकेट जीवन के दो दशक पूरे करने पर मीडिया की चर्चा अभी खत्म भी नहीं हुई थी कि बाला साहेब अपने आप को 'सुपर मराठा' साबित करने के चक्कर में राज ठाकरे से भी आगे निकल गये. बेचारे सचिन तो बस अपने सीधे-साधे उद्गार व्यक्त किये थे कि वह भारतीय पहले हैं और महाराष्ट्रियन बाद में. और बस तैश में आ गये बाला साहेब ठाकरे.
क्या एक् महाराष्ट्रियन भारतीय नहीं कहलायेगा? पहले देश है या प्रदेश ? किस सीमा तक जायेंगे ये छिछोरे राजनीतिक नौटंकीबाज़?
वक़्त आ गया है कि राष्ट्रवादी तत्वों को जाग जाना चाहिये. विशेषकर महाराष्ट्रियन राष्ट्रवादियों को. अब चुप बैठने का वक़्त नहीं है. उठो और बता दो कि हम शहर ,प्रांत/प्रदेश ,भाषा से ऊपर हैं .देश पहले है.
4 comments:
बहुत अफसोसजनक और दुखद घटनाक्रम है. मन खिन्न हो जाता है.
I am from Maharashtra, but I strongly believe that to be an Indian is the most important thing. In fact, even in Maharashtra, a very negligible percentage of people keep faith in MNS and SS. We are Indians and we keep our nationality at the top of anything.
@समीर लाल जी
हर रात की ,चाहे वह कितनी भी गहरी हो,सुबह ज़रूर होती है. आशा है स्थिति सुधरेगी.
@Ganesh Dhamodkar
Yes thats the spirit. We can not afford to be parochial in our approach.I am surprised how MNS received huge public support. Shiv Sena ,which started in 1960s with 'marathi manoos' formula ,had to give up that slogan. Now once again SS is going back as it is afraid of loosing ground to MNS.
Hope that things will improve and national spirit will prevail.
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