इस सादगी पे कौन ना मर जाये ए खुदा
लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं
जी हां ,ये ज़ुबानी ज़मा-खर्च की लड़ाई किसे दिखा रहे हैं बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ? भाजपा के साथ गल्बहियां भी हैं और आंखों के डोरे भी लाल हैं ! क्या बात हैं? ये बाज़ीगरी ही तो इनकी राजनीति का सबसे बड़ा हथियार है.
इधर भाजपा को आंख दिखायी ,प्रेस के सामने खूब गरियाये.उधर चुपके से .....लुधियाना की रैली में जो फोटो खींचा गया था फर्ज़ी था क्या? नहीं ना ? फिर हाय तौबा क्यों ? एक मोदी ( नरेन्द्र) को खरी खोटी सुनाई, दूसरे मोदी ( सुशील) को पुचकार दिया. इधर राजग ( NDA) के साथ सरकार भी चलाओगे और ‘सोने ‘ से खरे भी दिखना चाहोगे ?
जनता को बेवकूफ समझ रखा है क्या ?
अब समय आ गया है कि जनता ऐसे राजनीति के बाज़ीगरों को कटघरे में खड़े कर के सवाल पूछे. दुमुहीं राजनीति कतई बर्दाश्त नहीं होगी.राजनैतिक पाखंड को बेनक़ाब किया जाना चाहिये. फिर चाहे वह नीतिश हों या लालू या पासवान .... ( देखें अगली पोस्ट)
6 comments:
दुमुहीं राजनीति कतई बर्दाश्त नहीं होगी....जाने कब से???
ऐसे ढोंग तो आज राजनीति में प्रतिदिन हो रहे हैं।
जनता बहुत भोली है..पर कब तक..अब शायद जागने का टाइम आ गया है....
@समीर लाल जी,
जी हां. यही तो भारतीय राजनीति का दुर्भाग्य है . न जाने कब होगा इसका अंत?
शुभकामनायें
@ajit gupta
ये अन्धेरा अब पिघलना चाहिये
सूर्य बादल से निकलना चाहिये.
कब तलक परहेज़ होगा शोर से
अब हमारे होंठ हिलना चाहिये
फुसफुसाहट का असर दिखता नहीं,
हमको अपना स्वर बदलना चाहिये.
आमद के लिये धन्यवाद्
@रजनीश परिहार जी,
कब तलक परहेज़ होगा शोर से
अब हमारे होंठ हिलना चाहिये
फुसफुसाहट का असर दिखता नहीं,
हमको अपना स्वर बदलना चाहिये.
आप आये ,आपका धन्यवाद.
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