Monday, February 4, 2008

यदि उत्तर भारतीय बदला लेने पर उतर आयें...

बम्बई देश की आर्थिक राजधानी कही जाती है. यदि कोई यह कहे कि बम्बई इसीलिये बम्बई है क्यों कि इसे मराठियों ने अपने श्रम और जीवट से यहां तक पहुंचाया है -तो मैं इसे मूर्खता पूर्ण बक्तव्य ही कहूंगा.
बम्बई ,बंग्लौर, पूना, अहमदाबद ,हैदराबाद ,नोएडा,या गुडगांव या देश का अन्य कोई भाग कितनी भी तरक्की करले,परंतु इसमें खून पसीना पूरे भारत का लगा हुआ है. यह हो सकता है कि स्थानीय लोगों का योगदान अन्य की अपेक्षा अधिउक हो, परंतु कोई यह तथ्य स्वीकार नहीं कर सकता कि बम्बई मराठियों की है और गैर-मराठी समुदाय का कोई योगदान नहीं है. बम्बई यदि देश के केन्द्रीय करों में एक तिहाई योगदान करती है तो यह सिर्फ मराठी समुदाय का योगदान नहीं है.

राज ठाकरे नये नये मुल्ला बने हैं ,कुछ ज्यादा ही प्याज़ खा रहे हैं . वेश्या नंगा नाच करके अपनी ओर नज़रें आकृष्ट करने लगेगी ऐसा ही प्रतीत हो रहा है.
देखिये निशाना किसको बना रहे हैं? बम्बई का तेक्सी वाला, कुली, मज़दूर, सब्ज़ीवाला दूधवाला, ...हां इनमे से अधिकांश उत्तर भारतीय ( यूपी या बिहार भी) हो सकते है,परंतु जिस दिन ये काम करना बन्द कर देंगे तो बम्बई में पूरा चक्का जाम हो जायेगा.

मनपा चुनाव के समय भी राज ठाकरे ऐसा नाटक कर चुके हैं. महौल चुनाव का था,बात आयी गयी हो गयी. अब पानी सर के ऊपर जा रहा है.

इस अधकचरे राज नीतिज्ञ से कोई पूछे-कि यदि उत्तर भारतीय बदला लेने पर उतर आयें... कितने मराठी मानुष हैं शेष भारत में..?( या उत्तर भारत मे.. ?)- कौन आयेगा बचाने..?

राज ठाकरे जैसों की जगह पागलखाना या जेलखाना है. भगवान ने उसे सद्बुद्धि दे दी तो ठीक, बरना इतना ठोका जायेगा कि अपने आप उसे सदबुद्धि आ जायेगी .