कुछ लोगों ने कसम खा रखी है कि वे नहीं सुधरेंगे. चर्चा में बने रहने के लिये राज ठाकरे जैसे (कथित) नेता ऊल-जलूल वक्तव्य देने से बाज़ नहीं आ रहे हैं.
चिट्ठानामाके अनुसार एक बार फिर राज ठाकरे ने ज़हर उगला है और उत्तर भारतीयों से कहा कि वे बम्बई की राजनीति में हस्तक्षेप न करें और अपने आप को सिर्फ पानी-पूरी बेचने तक सीमित रखें.
कोई इस शख्स को समझाये कि ये दादागीरी की ज़ुबान न ही बोले तो श्रेयस्कर होगा. जब भी वह अदालत के समक्ष उपस्थित होते हैं तो माफी की मुद्रा में दिखायी देते हैं. फिर जब भी मीडिया उन्हे भूलने लगता है तब फिर वह कुछ अटपटा बयान देकर मीडिया का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास करते हैं.
जिन के विरुद्ध वह ज़हर उगल रहे हैं ,यदि वह भी ऐसी ही भाषा बोलने लगें तो क्या होगा? उत्तर भारतीयों के प्रति जिस प्रकार का दुर्व्यवहार बम्बई में हुआ है ,यदि उत्तर भारतीय भी बदला लेने पर उतर आयें तो क्या होगा ठाकरे जी? में ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि वह राज जैसे सिरफिरे व गुमराह व्यक्तियों को सद्बुद्धि प्रदान करे.
बस दो दुमदार दोहे इस विषय पर प्रस्तुत हैं:-
बिल्ली छोटे गांव की खुद को समझे शेर
सवा सेर आ जायेगा, हो जायेगी ढेर
कि सुन ले राज ठाकरे
मत अपनी जड़ें काट रे
बम्बई तो जागीर है भारत भर की आज
उल्टी गंगा मत बहा मूर्खों के सरताज
बडा पछताना होगा
बड़े घर जाना होगा
2 comments:
अरविन्द भाई, राज ठाकरे अभी क्यों बोला?
कांगेस के इशारे पर बोला, ताकि लोग शिवसेना से दूर छिटक जायें और कांग्रेस को वोट दे डालें.
महाराष्ट्र में वोटों की फसल कटनी है ना,
पहले लोकसभा से पहले बोला था, और कांग्रेस को इसका फायदा भी हुआ था.
जो महाराष्ट्र से भूमि पुत्र हैं वह शिवसेना की बजाय इस कांग्रेसी बबुआ राजठाकरे नाम के वोट कटुआ को वोट दें और जो बाहर से आये हैं, वह कांग्रेस और एनसीपी की नौटंकी के झासे में आ जायें
aji Raaj Thakre ke din bahutere hain ...jald hi pata chalega ...
http://www.moorkhistan.com/index.php?option=com_content&view=article&id=56:-no-1-&catid=41:political-moorkhnaad&Itemid=41
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