Sunday, September 23, 2007

करुणानिधि या घृणा निधि


तमिल लिपि में क तथा ग के लिये एक ही अक्षर इस्तेमाल किया जाता है.उसी तरह ख तथा घ के लिये भी एक ही अक्षर है. जब उच्चारण करते है तो क, ख ग, अथवा घ में विशेष फर्क़ नहीं होता. इस के आधार पर ‘करुणा’ तथा ‘घृणा’ तमिल भाषा बोलने व लिखने वाले के लिये शब्दिक रूप में एक दूसरे से बहुत दूर नहीं कहे जा सकते.
तमिल नाड के मुख्यमंत्री एम घृणा निधि ने पिछले सप्ताह भग्वान राम के प्रति जो उद्गार व्यक्त किये है, वे यथा नाम तथा गुण ही सिद्ध करते हैं. यानि कि वह करुणा के निधि न होकर घृणा के ही निधि ( खज़ाना) हैं.
गलत स्त्रोत बताकर तथा ‘बाल्मिकि रामायण” से गलत उद्धरण देकर आखिरकार यह शख्स क्या सिद्ध करना चाहता है ? राम का सम्पूर्ण चरित इस अधम व्यक्ति के लिये एक कल्पना मात्र हैं ,जिसका कोई प्रमाण नही है. यहां तक ही होता गनीमत थी. यह श्ख्स कहता है कि राम सुरापान करते थे, सीता अपने आप रावण के साथ गयी क्यों कि वह उसे चाहती थी.
जो राम को मानना चाहे माने, न मानना चाहे ना माने. हमें इसॅसॆ कोई गुरेज़ नहीं. किंतु हैरानी है कि लोकतंत्रिक पद्धति से चुने गये इस व्यक्ति को अन्य ( उसके लिये-उत्तर भारत के लोग, राम भक्त, आस्थावान्, प्रार्थना रत अथवा रावण- वध करने वाले ) किसी की आस्था, विश्वास पर चोट करने का हक़ किसने दिया.
क्या मुख्य मंत्री किसी भी कनून से ऊपर है? इस घृणा की निधि द्वार दिये गये बयान Criminal Procedure Code (Cr PC की धारा 156(3) व Indian Penal Code की धारा 295 ए ( किसी अन्य की धार्मिक भावनाओं को जान-बूझ कर आहत करना) तथा धार व 298 ( धामिक भावनायें को चोटृ पहुंचाने सम्बन्धी बयान देना)का उल्लंघन है.
इस व्यक्ति व इसकी पार्टी का एक ही उद्देश्य है कि- उत्तर भारतीयॉ से घृणा, राम के नाम से घृणा, और हा इस घृणाको आगे फैलाने का प्रयास.
राम सेतु के मुद्दे पर जिस प्रकार करुणानिधि, टी आर बालू, तथा द्रमुक सरकार के अन्य मंत्री आर्कट वीरासामी ने जिस प्रकार के बयान दिये हैं, उससे तो ये लगता है कि कांग्रेस ने रामसेतु की सुपारी DMK को दे दी है.

1 comment:

रवीन्द्र प्रभात said...

आपके विचार सारगर्भीत है.