Friday, August 28, 2009

कवि सम्मेलन सम्पन्न

द्वारका उपनगर ,नई दिल्ली में 26 अगस्त 2009 को रसिक श्रोताओं की गरिमामयी उपस्थिति में सम्पन्न हुआ एक कवि सम्मेलन जिसमें डा.क़ीर्ति क़ाले, डा. सरोजिनी प्रीतम, पं. सुरेन्द्र दुबे (जयपुर), महेन्द्र शर्मा,नन्द किशोर अकेला (रतलाम),राजगोपाल सिंह, डा.अरविन्द चतुर्वेदी व रमेश गंगेले ने कविता पाठ किया . गतवर्षों की भांति इस वर्ष भी महाराष्ट्र मित्र मंडल की ओर से गणेशोत्सव के अवसर हिन्दी अकादमी दिल्ली के सहयोग से यह कवि सम्मेलन आयोजित किया गया.देर रात तक रसिक् श्रोता कविताओं के सागर में गोते लगाते रहे और कविता का भरपूर आनन्द लेते रहे. कवि सम्मेलन का प्रारम्भ डा.कीर्ति काले ने सरस्वती वन्दना से किया.तदुपरान्त रमेश गंगेले ने ओजस्वी कविता प्रस्तुत की. उसके बाद डा. सरोजिनी प्रीतम ने मनोरंजक हंसिकाएं सुनायीं. फिर डा. अरविन्द चतुर्वेदी ने हास्य रस की वर्षा करते हुए अपनी हिंग्लिश भाषा की कविताओं से सभी को लोट-पोट कर दिया. गीतकार राजगोपाल सिंह ने दो गीत व गज़लों का सस्वर पाठ करके श्रोताओं को भावविभोर कर दिया.महेन्द्र शर्मा ने एक बार फिर रुख हास्य व्यंग्य की तरफ मोड़कर कवि सम्मेलन में पधारे द्वारका के रसिक जनों को बांधे रखा. रतलाम से पधारे नन्द किशोर अकेला ने पहले हास्य-पूर्ण आत्मकथ्य और फिर काव्य से सभागार को रसमय कर दिया.फिर काव्य-मंच संभाला संचालिका डा.कीर्ति काले ने और दो भाव पूर्ण गीत सुनाकर अद्भुत प्रशंसा अर्जित की . डा. कीर्ति ने अपनी दो नयी रचनायें प्रस्तुत कीं. मधुर सम्वेदनाओं से ओत-प्रोत इन गीतों - 'जब भी मन की माला फेरी,मर्यादा ने आंख तरेरी' तथा " तब हृदय के एक कोने में कोई कुछ बोल जाता है" को बहुत सराहा गया. अंत में पं.सुरेन्द्र दुबे ने व्यंग्य व हास्य का गठ्बन्धन करते हुए श्रोताओं की वाह वाही लूटी. ( चित्र में बांये से – डा.अरविन्द चतुर्वेदी, राजगोपाल सिंह ,महेन्द्र शर्मा, रमेश गंगेले, सुरेन्द्र दुबे,नन्दकिशोर अकेला ,डा. कीर्ति काले व डा.सरोजिनी प्रीतम, साथ ही विडियो में डा.अरविन्द चतुर्वेदी व डा. कीर्ति काले )

5 comments:

Udan Tashtari said...

आभार रपट का..मजेदार रहा विडिओ.

अभिनव said...

वाह

नीरज गोस्वामी said...

रोचक जानकारी...आप का लार्ड गणेशा भी खूब रहा...अभी तक हंस रहे हैं...
नीरज

डा.अरविन्द चतुर्वेदी Dr.Arvind Chaturvedi said...

@समीर भाई
सदैव की भांति आपका स्नेह बराबर बना हुआ है. आभारी हूं.
@अभिनव जी
पधारने का धन्यवाद.
@ नीरज जी
लौर्ड गणेशा आप को हमेशा हंसाता रहे ...धन्यवाद.

Anonymous said...

waah waah
grrrrrrrrrrrrrrreat humour. I liked it