हालांकि बहुत से पन्ने प्रिंट मीडिया में रंगे जा चुके हैं और टी वी पर बहुत सा समय इस विषय पर खर्च हो चुका है,फिर भी मैं अपनी बात रखना आवश्यक समझता हूं.
भले ही यह विवाद का विषय रहा हो कि शाहरुख ने अपनी जामातलाशी और हिरासत की बात को बढ़ा चढ़ा कर पेश किया.और यह भी (बकौल अमर सिंह) कि शाहरुख ने यह सब अपनी आने वाली फिल्म के प्रचार के लिये किया.
यहां तक तो गनीमत थी. लेकिन बाद में शाहरुख का स्वदेश लौटकर प्रेस कांफ्रेंस करना (और यह भी कहना कि मैं किसी से कोई माफीनामा नहीं चाहता ) और एक बार फिर से मीडिया के लिये मुद्दा उछालना हज़म नहीं हुआ.
चलो यह भी छोड दे ,फिर शाहरुख का यह कहना कि भारत में भी अमरीकी कलाकारों को वही सलूक दिया जाना चाहिये.
( हमारी काबिल मंत्राणी महोदया यह अपने मुखारविन्द से पहले कह चुकी थीं) कुछ 'देशभक्तों ' को संतुष्टि के लिये चलो यह भी ठीक. यहां तक भी गनीमत माना. पर शाहरुख का यह कहना कि जब अंजेलीना जोल्ली यहां आयेगी तो वह खुद उसकी जामा तलाशी लेना चाहेंगे -यह तो बिल्कुल ही हज़म नहीं हुआ. बल्कि इससे तो शाहरुख का सस्तापन, बाज़ारूपन और भोंडापन ही प्रदर्शित होता है.
भले ही शाहरुख को देश की जनता एक बडा कलाकार मानती रहे,पर यह एक बडे कलाकार के लक्षण तो नहीं ही लगे .
2 comments:
स्वयं तलाशी लेंगे-वाली बात जँची नहीं.
जी हां,समीर भाई.बिल्कुल अखरने वाली बात है.
Post a Comment