अमरीका की भूमि से यह मेरा पहला ब्लोग है. पिछले चार् दिनों से मैं यहां वर्जीनिया राज्य की राजधानी 'रिचमंड' नामक नगर में हूं.
8 मई को जब दिल्ली से चला था ,तब से ही पहली ब्लोग पोस्ट का शीर्षक सोचा हुआ था. आज सुबह सात बजे पहली पोस्ट लिख ली थी पर न जाने क्यों save नहीं कर पाया, और अब दोपहर को दुबारा लिख रहा हूं.
दुबाई के लिये जब दिल्ली से Emirates की फ्लाइट पकड़ी थी तो यान में लगभग तीन चौथाई भारतीय ही थे. समझ में भी आया क्योंकि दुबाई, शार्जाह आदि मे भारतीय कामगारों की भरमार है . परंतु दुबाई से जब JFK Airport ( न्यू यौर्क) के लिये जाने वाली उडान के लिये चेक इन किया तो भी भारतीय मूल के यात्रियों के संख्या हैरान करने जैसी लगी.इस फ्लाइट में भी आधे से अधिक भरतीय मूल के ही थे . मुझे बाद में जानकारी से पता चला कि अब भारतीय मूल के व्यक्ति एयर इंडिया के बजाय Emirates को अधिक पसन्द करते हैं. ( एक तो एयर इंडिया की उडानें लन्दन होके आती है , जहां transit के दौरान checking में घंटों लग जाते हैं, दूसरा एमिरेट्स की सेवा व खान-पान बहुत ही अच्छा है). खान-पान की बात मैने भी महसूस की-निश्चित रूप से उम्दा खाना ( मेरे जैसे vegetarian के लिये तो और भी उम्दा).
तीन वर्षों बाद किसी अंतरराष्ट्रीय उडान पर था अत: बोइंग 777 की सुविधायें भी चौंकाने वाली लगी.भारतीय भाषाओं ( हिन्दी के अतिरिक्त-तमिल,तेलुगु, बंगला भी) का संगीत , फिल्में भी उप्लब्ध थीं.
टोयलेट जाने पर एक मज़ेदार बात मैने नोट की . फ्लश करने के लिये सन्देश हिन्दी,उर्दू, बंगला,तेलुगु,अंग्रेज़ी ( व एक अन्य-शायद फ्रेंच) भाषा में था. भाव तो सभी सन्देशों का एक ही था, मगर भाषा अलग अलग थी.
हिन्दीमे लिखा था 'क़्रपया शौचालय की सफाई के लिये यह बटन दबायें', उर्दू में लिखा था' बराये-मेहरबानी टोयलेट इस्तेमाल करने के बाद यह बटन दबाइये' और बंगला में लिखा था-' फ्लश कोरार जोन्ये एखने दाबान्'
अभी दिन के लगभग डेढ़ बजने को हैं भूख लग रही है. अगली किश्त शाम को ....
2 comments:
स्वागत है जी आपका अमरीका में..अपना फोन नम्बर तो ईमेल करिये, कुछ बात चीत की जाये और कनाडा आने का प्रोग्राम हो, तो बताईये..अच्छा लगेगा.
ईमेल पर नम्बर भेज दें:
sameer.lal AT gmail.com
AT=@
अच्छा वृत्तांत है.आगे पढने की उत्सुकता जागी है.
जल्दी जल्दी
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