Saturday, May 16, 2009

अमरीका में “भारतीयम”-तीन: सांई बाबा का सत्संग और अमरीकी भक्त










जाना तो मुझे रिचमंड था, परंतु जे एफ के एयर्पोर्ट से उल्टे उत्तरपूर्व की तरफ दिनेश आहूजा जी के घर ( जो ईस्ट लाइम, कनेक्टिकट में है) जा रहे थे .दिनेश का आग्रह था कि उस दिन बुद्धपूर्णिमा है,और उन्होने अपने घर सांई-सत्संग के साथ साथ(meditation ) मेडिटेशन-ध्यान पर चर्चा करने हेतु विशेषज्ञ को आमंत्रित किया है अत: मैं पहले एक दिन उनके यहां रुकूं और फिर रिचमंड जाऊं.

हाई-वे पर ट्रेफिक-जाम जैसी स्थिति तो मैने सोचा भी नहीं था, पंरतु मैने देखा कि जगह जगह अचानक ट्रेफिक धीमा हो रहा था. न्यू हेवन के पास दिनेश ने गाड़ी हाई-वे से उतार कर नगर के अन्दर से निकाली और तीन कि.मी का चक्कर लगा कर फिर हाई-वे पर आ गये.रास्ते में दिनेश को सूचना मिली कि काम में हाथ बटाने हेतु दो मित्र-परिवार उनके घर पहुंच चुके हैं. डेढ़्- बजे अपरान्ह हम घर पहुंचे. दिनेश ने मित्र परिवारों से मिलाया. श्रीनिवास कामीरेड्डी व उपेन्द्र जी सपत्नीक आकर काम में जुट गये थे. मुझे बताया गया कि आज लगभग 75 व्यक्ति सत्संग में भाग लेंगे ,उसके उपरांत भोजन है. दोपहर में भयंकर नींद आ रही थी. थकान के अलावा मुख्य कारण था कि दिल्ली से निकले हुए 24 घंटे से अधिक हो गये थे, किंतु अभी तो पूरा दिन बाकी था. मेहमानों के आने के पहले मुझे तैयार होने को कहकर सभी काम में व्यस्त हो गये.
तीन बजते बजते मेहमानों का आना शुरू हो गया. सत्संग सबसे नीचे तल पर बने बड़े कमरे में था. सांई बाबा का भव्य दरबार सजा था ( चित्र देखें). सतसंग मे भाग लेने वालों के लिये 60-70 पृष्ठों का एक फोल्डर दिया जा रहा था, जिसमें सभी भजन आदि रोमन / देवनागरी /तेलुगु व गुजराती लिपियों में लिखे हुए थे.

भजन /कीर्तन ढप, झान्झ ,मजीरों के साथ शुरू हो चुका था. देर से आने वाले निश्चित स्थान से फोल्डर उठाते और भजन में शामिल हो जाते. बीच बीच में उपेन्द्र जी अपने वीडिओ कैमरे से और श्रीनी अपने स्टिल कैमरे से चित्र लेते रहते .लगभग पांच बजे दिनेश ने meditation की महत्ता और अपने अनुभवों पर प्रकाश डाला. फिर श्रीमती पाविनी ने मेडिटेशन की पूरी प्रक्रिया आदि को प्रश्न-उत्तर के माध्यम से समझाया और सभी ने 25 मिनट के लिये सुझावानुसार ध्यान लगाया. यहां बताना आवश्यक है कि श्रीमती पाविनी विशाखापट्नम की रहने वाली हैं और 2003 से मेडिटेशन में लगीं है. उनका दावा है कि उस अवस्था में उन्होने अनेक महान आत्माओं का साक्षात्कार किया है.इन अनुभवों पर उनकी पुस्तक का भारत ( हैदराबाद) में शीघ्र ही विमोचन होने वाला है.

अपने अपने अनुभव सबने साझा किये. फिर विशाल आरती के साथ सत्संग समाप्त हुआ. इसमे मूल अमरीकी डा. ब्रूस व उनकी पत्नी, साई भक्त एन्न, कनेक्टिकट के बड़े अस्पताल के वरिश्ठ चिकित्सक डा. मार्क व पत्नी, ( लगभग दस अमरीकियों को मिलाकर)60 व्यक्ति सतसंग में शामिल हुए. इन (मूल रूप से)भारतीय अमरीकी पर्रिवारों के बच्चे भी आये हुए थे. कई परिवार तो दो-ढाई घंटे लगाकर पहुंचे थे. इनमें साई भक्त मूल अमरीकी परिवारके अतिरिक्त आन्ध्र के तेलुगुभाषी से लेकर पंजाबी ,गुजराती ....सभी शामिल थे . सच्ची अर्थों में ...अमरीका में भारतीयम ..
फिर सबने सुस्वादु भारतीय भोजन का आनद लिया. कोई दही लेकर आया था तो कोई आलू-गोभी की तरकारी. कोई अपने घर से पुदीने की चटनी बना कर लाया था. मैं तो भारत से मिर्च का अचार ले गया था. एक बडे परिवार की तरह से यह समागम लगा जिसमे सबकी भागीदारी भी थी और सब आनंद भी ले रहे थे. रात्रि लग्भग दस बजे विसर्जन हुआ.

फ़िर से जे ऎफ के एयरपोर्ट ..और वहां से ...रिचमंड की उड़ान ...( जारी).



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2 comments:

RAJ said...

Om Sai Ram
America me base bhartiyon ke bare me jankar kafi achha laga....

Unknown said...

aapka aalekh shaandaar hai, america main jab bhi jata hoon, vahan k bhartiyon ki aastha aur dharmparayanta ka kayal ho jata hoon ...
AAPKO HARDIK BADHAI