सम्पादक तो सम्पादक ,रिपोर्टर को भी नहीं पता कि क्या पिछले दिन क्या खबर लगायी गयी थी और उसका क्या फोलो-अप जाना है. खबर बाप की और फोलो-अप बेटे का.
जी हां ,प्रतिष्ठित 'राष्ट्रीय" दैनिक टाइम्स ओफ इंडिया का है यह हाल.
पहली ख़बर छपी 17 सितम्बर को . पूर्व कानून मंत्री शांती भूषण के हवाले से . रिपोर्टर धनंजय महापात्र ने लिखा कि श्री भूषण ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिख कर कहा कि कि 16 पूर्व मुख्य न्यायाधीशों में से कम से कम आठ् निश्चित रूप से भ्रष्ट थे . ज़ाहिर है ऐसा कहने से उनके ऊपर कोर्ट की अवमानना का मामला बन सकता था. खबर में कहा गया था कि श्री शांती भूषण ने चुनौती देते हुए यह आरोप लगाये और कहा कि यदि हिम्मत है तो मेरे ऊपर अवमानना का केस दर्ज़ किया जाये.
खबर महत्वपूर्ण तो थी ही. अनेक लोगों ने श्री शांतीभूषण ने इस कदम को सराहनीय और वाकई साहसी, हिम्मत वाला बताया . ( मैने तो तुरंत ट्विटर Twitter पर अपनी टिप्पणी भी दे डाली, देखें : http://twitter.com/ArvindChaturved
http://twitter.com/bhaarateeyam
मैने तो अपनी टिप्पणी में twitter पर लिखा कि श्री शांतीभूषण को एक कदम बढ़ कर उनके नामों का खुलासा करना चाहिये.
दो दिन बाद 19 सितम्बर के Time of India में पहले पेज पर छपी खबर देखकर चोंकने की बारी मेरी थी. श्री शांतीभूषण वाली 17 सितम्बर की खबर का फोलो-अप था और इसमें श्री शांतीभूषण का ज़िक्र न होकर उनके बेटे ( और वकील ) प्रशांत भूषन का नाम आ रहा था. मुझे लगा कि मैने ही गलत पढा होगा. मैने खबर की पुष्टि के लिये इसी अखबार की website देखी .
उसी रिपोर्टर (धंनंजय महापात्र) ने दो दिन बाद जाने वाले फोलो-अप् में लिखा कि श्री प्रशांत भूषण ( जिन पर अवमानना का मामला दर्ज़ किये जाने की सम्भावना है) ने आज उन नामों का खुलासा करते हुए प्रमाण भी प्रस्तुत किये .
अब खबर का तो मलीदा बन गया ना?
खबर की तो जान ही निकल गयी. 17 तारीख को कुछ आरोप लगाये श्री शांती भूषण ने और 19 सितम्बर की रपट में उनके नाम्को गायब करके छाप दिया नाम उनके बेटे का.!!!
वाह टाइम्स ओफ इंडिया वाह !!!
मैं सोच रहा था कि चलो भूल हो गयी पर शायद अगले दिन /या उससे भी अगले दिन सम्पादक् की ओर से कुछ क्षमा याचना तो होगी ही अखबार के पहले पेज पर.
परंतु रिपोर्टर तो रिपोर्टर ,शायद सम्पादक महोदय ने भी नहीं पढी यह खबरें.
यह हाल है हमारे राष्ट्रीय मीडिया का.
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