अगले दिन शुक्रवार को छात्रों के साथ industry visit पर जाना था. ठीक 9.40 पर Ms Odile Gruet का आना हुआ. हम सभी नीचे होटल के गेट पर ही इंतज़ार कर रहे थे. Corys Tess नामक कम्पनी मे जाना था. कम्पनी का दफ्तर लगभग एक किलोमीटर दूर था. हम लोगों ने पैदल चलना तय किया.
कम्पनी के अधिकारियों से परिचय होने पर उन्होने कम्पनी की उपलब्धियों के बारे में बताया तथा यह भी जोड़ा कि दिल्ली मेट्रो कार्पोरेशन को उन्होने आठ सिमुलेटर सप्लाई किये हैं.
हमने फ्लाइट सिमुलेटर के बारे में सुन तो रखा था परंतु अनुभव नहीं किया था.
यहां तो ट्रेन सिमुलेटर का सामनाहोने वाला था. हमें बताया गया कि ब्रीफिंग के बाद हमें न केवल सिमुलेटर की पूरी कार्यवाही समझाई जायेगी बल्कि एक सिमुलेटर पर मेट्रो ट्रेन की ड्राइविंग भी सिखाई जायेगी. इसके पहले कि मेरे छात्र जो सभी एंजीनीयर थे, आगे आते पहले मैने इस अनुभव के लिये खुद को पेश कर दिया. जिस सिमुलेटर पर हमॆ ले जाया गया वह तेहरान के लिये बनाया गया है तथा कुछ ही दिनों मे दस सिमुलेटर तेहरान मेट्रो के लिये सप्लाई होने वाले हैं.
मुझे ड्राइवर की सीट पर बैठाया गया मेरे दो छात्र मैं कोंसोल पर थे जहां से पूरी ट्रेनिंग नियंत्रित की जाती है. शेष तीन छात्र मेरे साथ द्राइवर केविन में ही थे. पहले हेडफोन के ज़रिये मुझे ड्राइवर केबिन के कंट्रोल्स के बारे में बताया गया. स्पीड ,बेकिंग, कितनी दूर् पर ब्रेक लगाने हैं ट्रेन को कहां रोकना है. ,लाइन पर कोई एक्सीडेंट हो जाये तो इमर्जेंसी में क्या और कैसे करना है. धीरे धीरे मैने तेहरान के स्टेशन पर मेट्रो ट्रेन चलानी शुरू की . पहली बार प्लेटफोर्म से कुछ आगे जाकर रुकी. फिर अगले
प्लेटफोर्म पर पहुंचने में समय ज्यादा ले लिया . अगली बार बिल्कुल सही स्पीड पर जा रहा था कि पटरी पर एक कुत्ता आ गया और मैने ब्रेक न लगा कर उसे मार दिया.
..कुल मिला कर एक अलग ही किस्म के अनुभव व रोमांच का सामना हुआ. इसके बाद अन्य छात्रों की बारी आयी. अब हमारी बारी कंसोल पर थी.
एक अफसोस ज़रूर रहा वह यह कि इस अनुभव को हम कैमरे में कैद न कर पाये. मैं सोच रहा था कि अजय तो अपना कैमरा लेकर आयेगा ही और उसने भी यही सोचा और दोनों ही आज बिना कैमरे के पहुंचे थे. ( यहां दिये गये सिमुलेटर के चित्र कम्पनी की प्रचार सामग्री से हैं).
आज शाम ग्रेनोबल एकोल डी मेनेजमेंट की ओर से फेयरवेल डिनर का इंतज़ाम था.
Grenoble शहर के बाहर जाकर Chateau de la Commanderie नामक जगह पर खाना बुक था. यह पहले एक राजसी परिवार की सम्पत्ति थी, और अब एक रेस्त्रां बन गया है.
GGSB के business manager ( Gael Foillard) गेल फौइल्लर्द व उनकी पत्नी हमारे मेज़बान थे. रास्ते में गेल ने इस रेस्त्रां के इतिहास के बारे में बताया .
वहां पहुंच कर जैसी कल्पना की थी वैसा ही पाया. फ्रेंच शैली का पांच कोर्स का फ्रेंच खाना.
मेज़बान को यह भी पता था कि छह मेहमानों मे से तीन शाकाहारी हैं खाना ऐसा कि अधिक कहना मुश्किल परंतु सिर्फ महसूस ही किया जा सकता है. ( शायद चित्र से कुछ कहाँ सकूं इसलिये कुछ खाने के चित्र विशेष तौर पर ).
2 comments:
@jandunia
धन्यवाद्
आपके अनुभव पढ़कर व चित्र देखकर अच्छा लगा.
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