अप्रैल 2007 में चिट्ठाकारी शुरु करने के बाद यह दूसरा मौका है कि मेरे सभी ब्लौग ( भारतीयम, बृजगोकुलम एवं दिल्ली एक्सप्रेस) लगभग दो माह तक नितांत सूने व खामोश रहे.
कारण गिनाने से क्या फायदा? बस यही काफी होगा कि परिवारिक व्यस्ततायें तथा विवश्तायें समय निकालने ही नही देती. हां अभी कुछ और वक़्त लगेगा.
इस बीच यदि ब्लोग से दूर रहा हूं तो समय अन्य कार्यों में लग ही रहा है अत: कुछ खिन्नता तो है पर कुंठा नहीं.
रचनात्मक लेखन, कवि सम्मेलन भी निरंतर जारी हैं.
कुछ यात्रायें भी ,इस बीच, हो गयीं. इन यात्राओं का विवरण भी शीघ्र ही किसी ब्लोग पर आयेगा.
एक अधूरी सी गज़ल अगली पोस्ट में कल ही दूंगा.
जा रहा हूं मगर लौट कर आऊंगा.......
4 comments:
ज्लद ही आइयेगा।
hame apki kal ki post ka intajar rahega.
आप यहीं हैं..आपको कैसे भूल सकते हैं??
इन्तजार रहेगा..जल्दी आईये.
@ उन्मुक्त जी
आदेश का पालन करूंगा,, बस थोडी मोहलत .. धन्यवाद.
@ ऎड्वोकेट रश्मि जी
आप मेरे ब्लोग पर पधारे, शुक्रिया. कमेंट किया..डबल शुक्रिया.गज़ल भी हाज़िर है आज की पोस्ट में
@ समीर भाई,
आप के दिल्ली आने एवं सुनिता जी के बुलाने पर न पहुंच सका. तब तक खेद रहेगा,जब तक आपसे मुलाकात हो नहीं जाती,..इंतज़ार रहेगा..
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