2012 से ही ब्लॉग लेखन लगभग छूट ही गया।
2013 में एक अन्य रचनाकार की सामयिक रचना ही ब्लॉग पर आई।
2015 में सोचा कि चलो एक बार फिर शुरुआत करते हैं। यह सोचकर एक घोषणा भी कर डाली की बस अब फिर से शुरुआत होने ही वाली है।
पर घोषणा नेताओं के वादे जैसी ही साबित हुई।
भूत एक बार फिर सवार हुआ है,
इस बार इरादा पहले से ज्यादा गंभीर लगता है।
चलो एक बार फिर से.....लिखें , और अपनी बात फिर रखें सबके सामने....
कितनी बदल गई है दुनिया इन दिनों?
न केवल ज़माना बदला बल्कि जमाने की रफ्तार भी बदल गई है, लोग बदल गए हैं , लोगों के आचार-विचार में भी गजब का बदल हुआ है।
तक्नोलोजी भी तो कितनी बदल गई है इतने सालों में?
चलो तालमेल बिठाने की एक कोशिश करेंगे, कर के देखते हैं।
( हाँ, मेरा चेहरा, मोहरा भी बादल गया है। नया फोटो बाद में डालते हैं।)
2013 में एक अन्य रचनाकार की सामयिक रचना ही ब्लॉग पर आई।
2015 में सोचा कि चलो एक बार फिर शुरुआत करते हैं। यह सोचकर एक घोषणा भी कर डाली की बस अब फिर से शुरुआत होने ही वाली है।
पर घोषणा नेताओं के वादे जैसी ही साबित हुई।
भूत एक बार फिर सवार हुआ है,
इस बार इरादा पहले से ज्यादा गंभीर लगता है।
चलो एक बार फिर से.....लिखें , और अपनी बात फिर रखें सबके सामने....
कितनी बदल गई है दुनिया इन दिनों?
न केवल ज़माना बदला बल्कि जमाने की रफ्तार भी बदल गई है, लोग बदल गए हैं , लोगों के आचार-विचार में भी गजब का बदल हुआ है।
तक्नोलोजी भी तो कितनी बदल गई है इतने सालों में?
चलो तालमेल बिठाने की एक कोशिश करेंगे, कर के देखते हैं।
( हाँ, मेरा चेहरा, मोहरा भी बादल गया है। नया फोटो बाद में डालते हैं।)
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