Tuesday, April 12, 2011

देश के लिये उठे हाथ

दिल्ली के जंतर मंतर पर 5 से 9 अप्रैल 2011 तक जो लोकतंत्र का यज्ञ हुआ, उस ने हम सब देशवासियों में नई आशा का संचार किया है. लोग भविष्य के प्रति आशांवित हैं और एक नये प्रकार का आत्मविश्वास उपजा है.

इस समूची उपलब्धि पर मेरे बह्त पुराने ( आई आई टी बम्बई 1976-77) मित्र व वैज्ञानिक डा. शाहिद अब्बास अब्बासी ने मुझे एक चार पंक्तियों की रचना भेजी है,मैं चाहता हूं सभी लोगों तक पहुंचे.








हर दश्त को भी अब से बहारें मिलें खुदा

हर शख्स खुश दिखे वो नज़ारे मिलें खुदा

जो चल पड़ा है कारवां अब ना रुके कभी

इस मुल्क को हज़ारों हज़ारे मिलें खुदा


- डा. शाहिद अब्बास अब्बासी, पोंडिचेरी विश्वविद्यालय , पुदुच्चेरी.

2 comments:

Luv said...

"सब चुप, साहित्यिक चुप और कविजन निर्वाक
चिंतक, शिल्पकार, नर्तक चुप है,
उनके ख्याल से यह सब गप है
मात्र किंवदन्ती | "

-मुक्तिबोध

Rahul Paliwal said...

बहुत खुबसूरत रचना... डा. शाहिद अब्बास जी को बधाई प्रेषित कीजियेगा.

Regards
Rahul