लगभग दो माह पूर्व समीरलाल जी की एक मेल प्राप्त हुई थी जिसमें सूचना थी कि 11 नवम्बर को दिल्ली आयेंगे. तारीख नोट कर ली गयी, फिर अगली सूचना का इंतज़ार रहा. दीवाली पर शुभकामना का आदान प्रदान हुआ ,परंतु समीर जी की ओर से दिल्ली आने का ज़िक्र न पाकर सोचा शायद कार्यक्रम बदल गया हो.
12 तारीख को मैने सोचा कि यदि समीरभाई आ रहे हैं तो किसी न किसी ब्लोग पर तो सूचना होगी ही. चिट्ठाजगत पर गया तो झकाझक टाइम्स और फिर नुक्कड से पूरी जानकारी मिली.तुरंत 13 तारीख के दोपहर बाद के अन्य कार्यक्रम रद्द किये और सूचना दे दी कि मैं भी पहुंचूंगा.
क़ई बार मिलते मिलते रह गये समीर भाई से. 2008 के सुनिता शानू जी के कार्यक्रम में पहुंच नहीं पाया. 2009 में अमरीका गया पर 21 दिन बिताकर भी कनाडा न जा सका. 2010 में फिर कार्यक्रम बना और समीर जी से तय भी हो गया कि नियग्रा फाल्स पर भेंट होगी .पर मेरे कुछ छात्रों को वीसा न मिला और फिर कार्यक्रम बदला.
शनिवार को लगभग 3 बजे ढूंढते ढूंढते नियत स्थान पहुंचा और दूर से ही अविनाश जी नज़र आ गये.बालेन्दु दाधीच जी के अतिरिक्त वहां एकत्र अन्य ब्लोगरों से अपरिचित था अत: परिचय कराया अविनाश जी ने.
चाय-पानी का एक दौर चल चुका था. ( वो वाली चाय गर्म थी-दीपक बाबा जी!!),मेरे लायक बिना चीनी की चाय भी थी.
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सक्रिय ब्लोगर व पाठक न होने के नाते 2008-09 मे ब्लोग जगत पर छाये बन्धुओं से अपरिचित था. पहले मिला तारकेश्वर गिरि जी से. मैने पूछा क्या लिखते हैं? उन्होने बताया कि मुख्यत: ब्लोग पर गन्दगी फैलाने वाले कुछ ब्लोगरों को कस कर जवाब देता हूं . उन्होने दो तीन ऐसे धतकर्मी ब्लोगरों के नाम भी गिनाये ... ( ...जाने भी दो यारो...)
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नीरज जाट जी मिले. कहा गया कि इनके ब्लोग पर एक पहेली आती है ,जो वाकई चुनौतीपूर्ण होती है. नीरज जी ने बताया के वह किसी ....अंटी..चोर से परेशान हैं ,जो बहुत मेहनत करके पहेली का हल खोज़ लेता है और अपने ब्लोग पर जाकर लिख देता है कि नीरज जाट की पहेली का उत्तर ..फलाना .. है. लोग पहले उस ब्लोग पर जाकर हल पढते हैं और फिर्..इस ब्लोग पर जवाब देते हैं... ******************************************************************
रचना जी मिलीं. 2007 के एकाधिक ब्लोगर सम्मेलन में भेंट हो चुकी थी. तब तक कुछ और मित्र भी जुड चुके थे. अचानक बहस जैसी छिड गयी कि लोग ब्लोग क्यों लिखते हैं . ज़ाहिर है राय भिन्न भिन्न थी. मैने इसमें जोड़ा कि यहां कोई रचना वापस करने वाला सम्पादक नहीं है. कोई भी भाव हो,भावना हो, विषय हो, या भाषा हो,साहित्य लिखिये,गाली दीजिये, सब चलता है... ******************************************************************
अजय झा जी से भी भेंट हुई, ब्लोग अनेक बार देखा था परंतु,मुलाकात पहली थी. सुरेश य़ादव , शेखावत जी, अनिल कौशिक जी, शाह्नवाज सिद्दीकी, आदि से परिचय हुआ-पहली बार. तब तक राजीव तनेजा भी आते दिखे. पुराने ब्लोगरों में से वह भी परिचित चेहरा थे.
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3.15 पर परिसर में एक गाडी घुसी और भारी भरकम शख्सियत उतरी ( या कहें अवतरित हुई) ,हां ,हां वही उड़न तश्तरी...
फिर सतीश सक्सेना जी से परिचय हुआ ,जो समीर जी के रथ के सारथी थे
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तय हुआ कि अन्दर हाल मे चला जाये .इस बीच जिस रफ्तार से भाइयों के फोनी कैमरे क्लिक हो रहे थे, लग रहा था कि कई ब्लोगर सचित्र विवरण देने वाले है.. यही सोच कर मैने अपने कैमरे को ज़हमत नहीं दी.... *******************************************************************
कार्यक्रम के बीच व अंत में जिन अन्य ब्लोगरों के नाम पता चला –विनोद पांडे, राम बाबू, टी एस दराल, पदम सिंह, एम वर्मा,दीपक बाबा. कार्यक्रम शुरु होनेपर पधारे – सुनीता शानू जी, निर्मल वैद्य, अपुर्व बजाज, मोहिन्दर कुमार जी...
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अनिल कौशिक जी ने प्रायोजक का परिचय भी दिया और बीज वक्तव्य भी क्योंकि अविनाश जी को मोबाइल से फुर्सत ही नहीं मिल रही थी. फिर सुरेश यादव जी के साथ परिचय शुरु हुआ. सब दो दो मिनट बोलते रहे. अधिकांश ने अपने ब्लोग का परिचय भी दिया और ब्लोग –ब्लोगिंग –ब्लोगर पर लघु वक्तव्य भी. मुख्य वक्ताओं में बालेन्दु शर्मा जी ने चेताया कि 2010 के आंकड़ों के अनुसार ब्लोगरी बढ तो रही है ,परंतु विकास की दर कम हो रही है.उन्होने प्रश्न चिन्ह लगाया के कहीं हम कम समय में बहुत ज्यादा पाने की उम्मीद तो नहीं कर रहे.मज़ेदार रहा उनकी पांच पृष्ठों का कविता पाठ. इस खोज पूर्ण व व्यंग्य बाणों से भरी कविता में जैसे ही किसी ब्लोग्गर ( टाइप) का ज़िक्र आताअ, सतीश जी पूछते –यह आप्पने बारे में ही कह रहे हैं ना ? एक बार जब बिना पढे टिप्पणी करने का जिक्र हुआ ,तो समीर भाई ने धीरे से पूछा-यह किसके बारे में है?
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प्रसिद्ध व्यंग्यकार प्रेम जनमेजय जी पर अध्यक्षता मानो थोप सी गयी .कहा गया कि आप वरिष्ठ हैं अत: आपं अंत में बोलेंगे. प्रेम जी ने वरिष्ठता लेने से सरासर इंकार कर दिया और चन्द वाक्यों मे वाचस्पति जी को धन्यवाद देकर अपना वक्तव्य समाप्त घोषित कर दिया. उन्होने कहा कि मुझे तो अविनाश जी ने सिखाया है और मैं तो छोटा सा ब्लोगर ही हूं *******************************************************************
अब बारी थी मुख्य अतिथि समीर जी की. उन्होने ब्लोगिंग के प्रयोजन, मंतव्य, उपयोगिता ,विकास , भविष्य सभी विषयों को समेटा.एक विषय पर उनकी रचना जी से लम्बी बहस होते होते बचाई अनिल कौशिक जी ने . बह्स थी कि आप अपने ही घर मे नया ब्लोगर क्यों नहीं बनाते. रचना जी का आग्र्ह था कि पुरुष ब्लोगरों को चाहिये कि वे अपनी पत्नियों को भी ब्लोग लिखना सिखाये ताकि पाठक भी बढॆं और लेखक भी.
समीर जी ने अपने शरीर के अनुपात में भारी भरकम तर्क पेश किये. मैदान तो उन्हे मारना ही था.
फुरसतिया वाले अनूप शुक्ल जी का जिक्र भी आया. सतीश सक्सेना जी ने कहा कि कहा जायेगा कि मैं समीर जी के गुट में आ गया हूं. समीर भाई ने बताया कि वह किसी विवाद में नहीं रहते,न किसी विवाद पर टिप्पणी ही करते हैं .उनका किसी के प्रति दुराव नहीं है, न वह किसी के विरोधी गुट में हैं.
उन्होने माना के अनूप शुकल जी उनके गुरु हैं और वह गुरु के विरोध में कैसे हो सकते हैं ?
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अंत मे ग्रुप फोटो का प्रस्ताव था ,परंतु यू एन आई टी वी वाले आ गये तो व्यवधान हो गया.लोग तितर बितर से होरहे थे क्यों कि बाहर ( गर्म? ) चाय का एक और दौर था.
मुझे फिर फीकी चाय मिल गयी थी. मैं प्रसन्न भी था . संतुष्ट भी. एक एक कर के सब से बिदा ली और मैं ये गया...वो गया.... *******************************************************************
प्रवासी संसार, नुक्क्ड ,अविनाश जी व अन्य आयोजकों को धन्यवाद.
20 comments:
आंखों देखा हाल अच्छा लगा। दुर्भाग्यवश मैं आ नहीं सका था।
समग्र रिपोर्ट .. सुन्दर
शुक्रिया...
बधाई हो !
बढ़िया लगी आपकी रिपोर्ट
बढ़िया एवं विस्तृत रिपोर्ट ...
सुबह कम्प्यूटर खोला तो सबसे पहले कल के सम्मेलन की खबर पढ़ने की ही लालसा थी और सबसे पहले आपकी पोस्ट मिली। बहुत विस्तार से तो नहीं लिखा है लेकिन फिर भी काफी जानकारी मिली, आपका आभार।
वाह वाह बहुत बढिया रिपोर्ट सर । पूरा सारांश बता दिया आपने । आपके दर्शन से हम भी अभिभूत हुए सर ..
अच्छी रिपोर्ट मिली पढने को...
वाह सर, आपने तो 'गर्म' चाय पकड़ ली....
बदिया रिपोर्टिंग
sunder report.
अरविन्द जी की अच्छी और समय पर आई भरपूर रिपोर्ट। परंतु भरपूर में भी अभी और तरावट आनी चाहिए। अरविन्द जी इस पोस्ट से नियमित होंगे, इसी विश्वास के साथ। चाहे वे कोई एक बार तय कर लें समीर लाल जी की तरह जैसे बृहस्पतिवार अथवा मेरी तरह लगातार, कभी भी या फिर मासिक, पाक्षिक या पर्व त्योहार जैसे दीपावली, होली, दिवाली वगैरह।
साथियों आभार : इंटरनेशनल ब्लॉगर सम्मेलन - एक रिपोर्ट
बहुत सुंदर रिपोर्ताज। बधाई।
अच्छी रपट -शुक्रिया !
@समस्त टिप्पणीकार,
लिखने के बाद भी अनेक छोटी छोटी बातें याद आती रहीं हैं.
होता है ...
आप सभी का धन्यवाद .
बहुत अच्छी रपट बिल्कुल ही अलग अंदाज में
बिना लागलपेट सुन्दर रिपोर्टिंग. धन्यवाद अरविन्द जी.
वाह! बढ़िया रिपोर्टिंग...
बहुत बढिया मिलन रहा होगा जी ये भी
रिपोर्ट के लिये आभार
प्रणाम स्वीकार करें
@vivek ji
@sanjiv Tewari ji
@शाहनवाज़ जी
@अंतर सोहिल जी
ध्नयवाद
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