Wednesday, November 18, 2009

संतान के लिये अब ओनलाइन पूजा , मात्र 3100 रुपयों में.

गये वे ज़माने जब पुरोहित,पंडित ,पुजारी अपने अपने यजमानों को ढूंढने के लिये या तो मन्दिर मे जाकर ठीया जमाते थे या अपने पुश्तैनी यजमानों के घर के चक्कर लगाते थे. अब ज़माना हाई फाई हो गया है तो पंडित-पुरोहित भी कैसे पीछे रहते.

अब तो टेलीविज़न चैनल घर बैठे ईश्वर के दर्शन कराने को तैयार हैं और आपके नाम के संकल्प के माध्यम से ओनलाइन पूजा- थाली भी अर्पित कर रहे हैं . अब हवन करते हाथ जलाने की आवश्यकता नहीं और न ही चिंता कि आम की लकडी कहां से लायेंगे और पुरोहित कहां ढूंढेंगे. सब कुछ ओनलाइन उपलब्ध है.

मन्दिरों ,विशेषकर बडे मन्दिरों ,की अपनी अपनी वेबसाइट हैं ,जहां न केवल आप दर्शन कर सकते हैं बल्कि चढ़ावा भी आपके नाम से पंजीकृत हो कर लगाया जा सकता है.

कल 19 नवम्बर को एक विशेष पूजा का अवसर है, मुझे एक ई-मेल से जानकारी प्राप्त हुई. ये है संतान-गोपाल् पूजा , जो नि:संतान दम्पत्तियों को संतान दिलाने हेतु की जा रही है. यही नहीं बल्कि मेल में दावा है कि यदि संतानोत्पत्ति में किसी प्रकार की बाधा है तो दूर हो जायेगी तथा इस पूजा के फलस्वरूप स्वस्थ व बुद्धिमान् संतान जन्म लेगी.

इस विज्ञापन नुमा मेल में कहा गया है इस पूजा में पहले पुरुष सूक्त का पाठ होता है फिर भगवान विष्णु की पूजा गोपाल रूप में की जाती है तथा संतान गोपाल मूल मंत्र का जाप होता है.

फीस है मात्र 67.40 अमरीकी डालर अथवा 3100 रुपये.

( इस जानकारी का उद्देश्य इस पूजा का विज्ञापन नहीं है ,परंतु हिन्दू रीति-रिवाज़ों,पूजा-पाठ में आये तकनीकी बदलावों की सूचना भर है. इसे अन्यथा ना लें. और एक स्पष्टीकरण :मेरी कोई ज़िम्मेदारी नहीं है यदि आपने ओनलाइन पूजा का सहारा लिया तो. )

5 comments:

Udan Tashtari said...

आभार जानकारी का. तकनिकी विस्तार की दौड़ में कोई पीछे नहीं.

डा.अरविन्द चतुर्वेदी Dr.Arvind Chaturvedi said...

@समीर जी
धन्यवाद.यह सब उस नई पीढी को सुविधाजनक प्रतीत होगा जिसे कम्प्यूटर अब घुट्टी में मिलाकर पिलाया जाता है.
ज़रा कल्पना करिये कि कट्टर हिन्दू परिवार का कोई ( आप्रवासी) सदस्य जो शादी के लिये जन्मपत्री मिलान भी करायेगा परंतु शादी-विवाहादि के सभी संस्कार ओनलाइन ही होंगे. होम हवन ,पूजा,दान दक्षिणा सभी अब धीरे धीरे नेट के हवाले होने जा रहा है.

आपके कनाडा में भी कुछ ऐसे तत्व नज़र आये हैं क्या? जानने की उत्सुकता रहेगी.

डा.अरविन्द चतुर्वेदी Dr.Arvind Chaturvedi said...

@समीर जी
धन्यवाद.यह सब उस नई पीढी को सुविधाजनक प्रतीत होगा जिसे कम्प्यूटर अब घुट्टी में मिलाकर पिलाया जाता है.
ज़रा कल्पना करिये कि कट्टर हिन्दू परिवार का कोई ( आप्रवासी) सदस्य जो शादी के लिये जन्मपत्री मिलान भी करायेगा परंतु शादी-विवाहादि के सभी संस्कार ओनलाइन ही होंगे. होम हवन ,पूजा,दान दक्षिणा सभी अब धीरे धीरे नेट के हवाले होने जा रहा है.

आपके कनाडा में भी कुछ ऐसे तत्व नज़र आये हैं क्या? जानने की उत्सुकता रहेगी.

Science Bloggers Association said...

अंधविश्वास को बढावा देने में तकनीक भी पीछे नहीं।
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11वाँ राष्ट्रीय विज्ञान कथा सम्मेलन।
गूगल की बेवफाई की कोई तो वजह होगी?

डा.अरविन्द चतुर्वेदी Dr.Arvind Chaturvedi said...

@Science Bloggers Association
यह तो आस्था का प्रश्न है.
जाकी रही भावना जैसी
प्रभु देखी तिन मूरत तैसी.


मैं तो यही कहूंगा कि जो अच्छा लगे उसे लेते चलें ,जो त्याज्य लगेगी उसे छोड़ते चलें.

धन्यवाद्