Wednesday, May 16, 2007

राष्ट्रपति पद हेतु मेरी पहली पसन्द -मल्लिका सहरावत्

देश भर् में तमाम नामों पर चर्चा हो रही है.अटल जी से लेकर कर्ण सिंह तक,सुशील शिन्दे से लेकर शेखावत तक.
सभी नामों पर मतभेद हैँ और किसी एक नाम पर सहमति बनने के आसार कम ही नज़र आते हैँ. कोइ एक नाम ऐसा भी नही है,जिस को अपेक्षित दृष्टि से सर्वोत्तम माना जा सके.
मेरी राय से मल्लिका सहरावत इस पद के लिये सर्वोत्तम उम्मीदवार सिद्ध हो सकती हैँ.मल्लिका के पक्ष मेँ निम्न बातें प्रमुखता से कही जा सकती है :

1. पहली महिला राष्ट्रपति ( क्या इनको राष्ट्रपत्नी कहा जा सकता है ? ). हालांकि पहले सिर्फ एक बार इस पद हेतु किसी महिला ने चुनाव लडा है.पिछले चुनाव मेँ श्री अब्दुल कलाम का विरोध वामपंथी प्रत्याशी कैप्टन लक्षमी सहगल ने किया था. इससे पूर्व किसी महिला का नाम 1977 मेँ ,तत्कालीन प्रधान मंत्री श्री मोरार्जी भाई देसाई ने चलाया गया था ,वो नाम था सुश्री रुक्मनी देवी अरुन्दले का, जो आगे चल ना सका. तब से अब तक महिलायें बहुत प्रगति कर चुकी है तो राष्ट्रपति पद पर क्यों नही ?

2. लोकप्रिय चेहरा /नाम : मल्लिका जी को सारा देश जानता है. बच्चे बच्चे की ज़ुबान पर इनका नाम रहता है. युवा वर्ग तो इनके किये दीवाना है. देश की आधी जनता 35 वर्ष से कम उम्र की है, और इस वर्ग में तो मल्लिका एक सितारा है.

3. युवा भारत : क्या ज़रूरी है कि हर राष्ट्रपति सत्तर वर्ष से ऊपर का ही हो? इस बार युवा वर्ग को प्रतिनिधित्व मिलना ही चाहिये.

4. मितव्ययी: मल्लिका जी अत्यंत मितव्ययी हैँ और सार्वजनिक रूप से वह यह बात सदैव सिद्ध करती आयी हैँ.उनकी पोशाक अत्यंत सूक्ष्म है, जो सन्देश देती है कि हमेँ फिज़ूलखर्ची नही करनी चाहिये.
5. गान्धीवादी: मल्लिका जी पक्की गान्धीवादी है.बापू भी मात्र एक लंगोटी ही तो पहनते थे क्योंकि वह आम आदमी का प्रतीक थे. मल्लिका जी भी आम भारतीय की एक सच्ची पहचान है.
6. विदेशनीति मेँ सहायक् : मल्लिका जी यदि राष्ट्रपति बन गयी तो तमाम विदेशी राष्ट्रप्रमुख एक बार तो उनसे मिलने ज़रूर भारत आयेंगे. विदेशी राजनयिकों को भी राष्ट्रपति भवन जाने मेँ खूब दिलचस्पी होगी. आसानी से उनको भारत के प्रति दोस्ताना रवैया अपनाने के लिये मनाया जा सकेगा. हमारी विदेश नीति सफल होगी.
7. शान्तिपूर्ण बम् : मल्लिका जी स्वयँ किसी बम से कम नही हैँ. यह अहिंसक बम है. इस बम से किसी को कोइ क्षति नही हो सकती. भारत शक्तिशाली भी हो जायेगा और वह भी शांतिपूर्वक.

8.मल्लिका जी गैर शादीशुदा हैँ और अकेली रहती हैं. राष्ट्रपति भवन मेँ अनेक कमरे खाली रहेंगे तो इन्हे अंतर्राष्ट्रीय मेह्मानों के लिये किराये पर भी उठाया जा सकता है. विदेशी मुद्रा की आमदनी होगी सो अलग.

9. मृदुभाषी : मल्लिका जी अतयंत मृदुभाषी हैं तथा विनम्र भी. इनको देखने सुनने के लिये लोग सदैव उत्सुक रहते हैं,. जहां जहां भी मल्लिका जी जायेंगी लोगोँ का एक हुज़ूम पीछे पीछे होगा.

10. नारी शक्ति: गणतंत्र दिवस पर जब मल्लिका जी सलामी लेंगी तो सारे देश मेँ नारी शक्ति को मान सम्मान मिलेगा.

11. पूर्ण पारदर्शिता: देश भर मेँ लोग मांग करते आ रहे हैँ कि हमारी राज्प्रणाली पूरी तरह पारदर्शी होनी चाहिये. मल्लिका जी पारदर्शिता मे ही यकीन रखती हैँ तो फिर इस बार मल्लिका जी ही सही.
12. उनका तो नाम ही मल्लिका है जी, उन्हें तो मल्लिका होना भी चाहिये. लखों दिलोँ की मल्लिका तो वह है ही.

मेरा तो सभी राजनैतिक दलों को सुझाव है कि मल्लिका सहरावत का नाम आगे चलायें क्योंकि अब समय भी कम बचा है. इस नाम पर आम सहमति बनना भी आसान हो जायेगा.अभी तक हरियाणा से कोई इस पद तक नही पहुंचा है.
बन्धुवर ,सभी पाठकों से आग्रह है कि तुरन्त इस प्रचार मेँ लग जायेँ और मल्लिका जी के नाम पर आम सहमति बनवाने का पूरा गम्भीर प्रयास करेँ.

Monday, May 7, 2007

फूलोँ का ज़िक्र सुन न बहारोँ की बात सुन्

बन्धुवर,
इस बार बिना लाग लपेट के सीधे एक गज़ल पेश कर रहा हूँ.
आनन्द लीजिये, सोचिये और विचारिये.

अरविन्द चतुर्वेदी


गज़ल

फूलोँ का ज़िक्र सुन न बहारोँ की बात सुन
कुछ देर तो पतझड़ के शिकारोँ की बात सुन.


इनमै किसी इतिहास का अध्याय छुपा है,
बेबस ,यतीम वक़्त के मारोँ की बात सुन

राजा की पालकी की कराहोँ पे ध्यान दे,
उसको उठाने वाले कहारोँ की बात सुन.


सीने पे चोट खा के चट्खते हैँ बार बार ,
लहरोँ को भूल कर तू किनारोँ की बात सुन.


चन्दा की चान्दनी पे तो लाखोँ फिदा होंगे,
रातोँ को टिमटिमाते सितारोँ की बात सुन.



सरकार की बातोँ के लिये वक़्त बहुत है,
इस वक़्त तो कुचले गये नारोँ की बात सुन.


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