tag:blogger.com,1999:blog-1545276171833197290.post8430166976877531497..comments2023-07-06T17:14:13.133+05:30Comments on भारतीयम Bhaarateeyam: मन्या की 'पागल औरत' का विस्तार ?Unknownnoreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-1545276171833197290.post-31462768445261638662007-06-21T13:05:00.000+05:302007-06-21T13:05:00.000+05:30@संजीत जी@अनूप जी@रजीव रंजन जी@मन्या जी@समीर जी@शा...@संजीत जी<BR/>@अनूप जी<BR/>@रजीव रंजन जी<BR/>@मन्या जी<BR/>@समीर जी<BR/>@शास्त्री जी<BR/>आप सभी महानुभावों को पधारने, पढ़ने एवम टिप्पिआने हेतु धन्यवाद.डा.अरविन्द चतुर्वेदी Dr.Arvind Chaturvedihttps://www.blogger.com/profile/01678807832082770534noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1545276171833197290.post-2865973123693630582007-06-20T19:53:00.000+05:302007-06-20T19:53:00.000+05:30आपका वर्णन इतना स्वाभाविक एवं मर्मस्पर्शी है कि दि...आपका वर्णन इतना स्वाभाविक एवं मर्मस्पर्शी है कि दिल दहल गया.Shastri JC Philiphttps://www.blogger.com/profile/00286463947468595377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1545276171833197290.post-17694250668207530272007-06-13T20:26:00.000+05:302007-06-13T20:26:00.000+05:30बहुत खूब-अच्छा विस्तार दिया और यूँ भी पूर्ण कविता....बहुत खूब-अच्छा विस्तार दिया और यूँ भी पूर्ण कविता. बधाई.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1545276171833197290.post-76521725470521137122007-06-10T12:09:00.000+05:302007-06-10T12:09:00.000+05:30हमारे समाज के सत्य और वर्गों के बीच के द्वंद को पर...हमारे समाज के सत्य और वर्गों के बीच के द्वंद को परिलक्षित करती है ये कविता... साथ ही हमारे मन के भावों को भी.. सह्जता से कहती है..हमारी तथाकथित सभ्य,सुसंस्कृत, मनोवृति का यही नग्न सत्य है.. और हमसे अनावृत्त स्त्य पचाया नहीं जाता...<BR/><BR/>बहुत पसंद आयी ये रचना.. मेरी रचना से कहीं ज्यादा विस्तॄत और परिपक्व है.. फ़िर भी मेरी कविता को पसंद करने क शुक्रिया..Monika (Manya)https://www.blogger.com/profile/02268500799521003069noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1545276171833197290.post-53147217428722101082007-06-10T09:51:00.000+05:302007-06-10T09:51:00.000+05:30संवेदनशील रचना है...मान्या की रचना का यह वास्तव मे...संवेदनशील रचना है...मान्या की रचना का यह वास्तव में विस्तार ही है।<BR/><BR/>*** राजीव रंजन प्रसादराजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1545276171833197290.post-82302185666187056782007-06-10T07:45:00.000+05:302007-06-10T07:45:00.000+05:30सही है!सही है!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1545276171833197290.post-46486603686873544762007-06-10T06:48:00.000+05:302007-06-10T06:48:00.000+05:30खूब!!!खूब!!!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.com