Wednesday, July 21, 2010

इंडियन आइडल 5 : असल खेल तो अब होगा

इंडियन आइडल (Indian Idol)-शुरू से ही यह रियलिटी शो मेरा पसन्दीदा टीवी कार्यक्रम रहा है. उसके बाद दूसरा नम्बर आता है बिग बौस (Big Boss) का. हालांकि ये दोनो ही कार्यक्रम विदेशी टी वी चैनलों की नकल ही हैं परंतु लोकप्रियता में दोनों अन्य रीयलिटी शो की तुलना में कहीं आगे हैं.

इंडियन आइडल -5 के औडिशन राउंड समयाभाव के चलते देख न सका. परंतु बहुत ज्यादा कुछ मिस नहीं किया. आखिरी 12 प्रतियोगियों के चुने जाने के बाद से लगातार देखता आ रहा हूं. मंगलवार 20 जुलाई का एपिसोड फिर छूट गया. आखिरी पांच में से एक का एलीमिनेशन होना था. कल से संशय था कि कौन निकाला गया होगा. आज वेबसाइट से पता चला कि कल निर्णायक मंडल ने अपना वीटो इस्तेमाल करके राकेश मैनी को निकलने से बचा लिया. ( यह भी कि आगे ये निर्णायक मंडल अब कोई वीटो इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे).

इन सभी रीयलिटी शो की जो बात अखरती है ( और कभी कभी मन में सन्देह भी पैदा करती है) कि जनता कमज़ोर
प्रतिभागियों को भी लगातार वोट क्यों देती रहती है ?

इंडियन आइडल में भी हर वर्ष एक न एक एक ऐसा प्रतिभागी ज़रूर होता है जो अपेक्षाकृत कमज़ोर होते हुए भी लोकप्रिय होने के चलते बचा रहता है. ( या उसे बचाये रखा जाता है ,ताकि एक क्षेत्र विशेष के दर्शक कार्यक्रम से जुडे रहें)?

इंडियन आइडल -5 में एक से एक बढकर गायन प्रतिभा आई. अब जो पांच बचे हैं उनमें श्री राम, शिवम, राकेश ,भूमि और स्वरूप खान हैं. मेरी राय में इनमें से स्वरूप खान को यहां तक नहीं पहुंचना चाहिये था. जनता के वोट न जाने कैसे उसे बचाये हुए हैं. शायद लोकगायन के क्षेत्र से आने के कारण उसके प्रति सहानुभूति ज्यादा है और इसी के चलते वह बचता चला आ रहा है.

इसी तरह शशि सुमन व नौशाद का निकाला जाना भी मुझे अखरा,क्यों कि मेरी राय में वह दोनो ही टीया, स्वरूप, व भूमि की तुलना में बेहतर गायक थे.

अब तो लगता है कि टी आर पी भी स्वरूप को नहीं बचा पायेगी. अगला नम्बर उसका ही होना चाहिये. इसके बाद ही होगा सही मायनों में मुक़ाबला. श्रीराम, राकेश और शिवम तीनों ही बहुत अच्छे गायक हैं. मैं आशा कर रहा हूं कि अंतिम तीन में यही तीनों पहुंचे.

अगला राउंड मज़ेदार होगा.मैं समझता हूं कि स्वरूप खान के बाद भूमि को निकला जाना चाहिये. देखें जनता की सोच में और मेरी राय में क्या फर्क है?

Monday, July 5, 2010

यू –ट्यूब ने किया पचास हज़ारी

यू-ट्यूब पर एक कवि सम्मेलन के मेरे काव्य-पाठ के अंश को देखने वालों की तादाद पचास हज़ार पार कर गयी. इसका लिंक नीचे दिया जा रहा है.आप भी आनन्द लीज़िये.

http://www.youtube.com/watch?v=w_vlI96_uCQ

मेरी यूरोप यात्रा-11-जब मैने तेहरान की लोकल ट्रेन चलाई

अगले दिन शुक्रवार को छात्रों के साथ industry visit पर जाना था. ठीक 9.40 पर Ms Odile Gruet का आना हुआ. हम सभी नीचे होटल के गेट पर ही इंतज़ार कर रहे थे. Corys Tess नामक कम्पनी मे जाना था. कम्पनी का दफ्तर लगभग एक किलोमीटर दूर था. हम लोगों ने पैदल चलना तय किया.
कम्पनी के अधिकारियों से परिचय होने पर उन्होने कम्पनी की उपलब्धियों के बारे में बताया तथा यह भी जोड़ा कि दिल्ली मेट्रो कार्पोरेशन को उन्होने आठ सिमुलेटर सप्लाई किये हैं.


हमने फ्लाइट सिमुलेटर के बारे में सुन तो रखा था परंतु अनुभव नहीं किया था.
यहां तो ट्रेन सिमुलेटर का सामनाहोने वाला था. हमें बताया गया कि ब्रीफिंग के बाद हमें न केवल सिमुलेटर की पूरी कार्यवाही समझाई जायेगी बल्कि एक सिमुलेटर पर मेट्रो ट्रेन की ड्राइविंग भी सिखाई जायेगी. इसके पहले कि मेरे छात्र जो सभी एंजीनीयर थे, आगे आते पहले मैने इस अनुभव के लिये खुद को पेश कर दिया. जिस सिमुलेटर पर हमॆ ले जाया गया वह तेहरान के लिये बनाया गया है तथा कुछ ही दिनों मे दस सिमुलेटर तेहरान मेट्रो के लिये सप्लाई होने वाले हैं.




मुझे ड्राइवर की सीट पर बैठाया गया मेरे दो छात्र मैं कोंसोल पर थे जहां से पूरी ट्रेनिंग नियंत्रित की जाती है. शेष तीन छात्र मेरे साथ द्राइवर केविन में ही थे. पहले हेडफोन के ज़रिये मुझे ड्राइवर केबिन के कंट्रोल्स के बारे में बताया गया. स्पीड ,बेकिंग, कितनी दूर् पर ब्रेक लगाने हैं ट्रेन को कहां रोकना है. ,लाइन पर कोई एक्सीडेंट हो जाये तो इमर्जेंसी में क्या और कैसे करना है. धीरे धीरे मैने तेहरान के स्टेशन पर मेट्रो ट्रेन चलानी शुरू की . पहली बार प्लेटफोर्म से कुछ आगे जाकर रुकी. फिर अगले
प्लेटफोर्म पर पहुंचने में समय ज्यादा ले लिया . अगली बार बिल्कुल सही स्पीड पर जा रहा था कि पटरी पर एक कुत्ता आ गया और मैने ब्रेक न लगा कर उसे मार दिया.

..कुल मिला कर एक अलग ही किस्म के अनुभव व रोमांच का सामना हुआ. इसके बाद अन्य छात्रों की बारी आयी. अब हमारी बारी कंसोल पर थी.
एक अफसोस ज़रूर रहा वह यह कि इस अनुभव को हम कैमरे में कैद न कर पाये. मैं सोच रहा था कि अजय तो अपना कैमरा लेकर आयेगा ही और उसने भी यही सोचा और दोनों ही आज बिना कैमरे के पहुंचे थे. ( यहां दिये गये सिमुलेटर के चित्र कम्पनी की प्रचार सामग्री से हैं).


आज शाम ग्रेनोबल एकोल डी मेनेजमेंट की ओर से फेयरवेल डिनर का इंतज़ाम था.
Grenoble शहर के बाहर जाकर Chateau de la Commanderie नामक जगह पर खाना बुक था. यह पहले एक राजसी परिवार की सम्पत्ति थी, और अब एक रेस्त्रां बन गया है.


GGSB के business manager ( Gael Foillard) गेल फौइल्लर्द व उनकी पत्नी हमारे मेज़बान थे. रास्ते में गेल ने इस रेस्त्रां के इतिहास के बारे में बताया .


वहां पहुंच कर जैसी कल्पना की थी वैसा ही पाया. फ्रेंच शैली का पांच कोर्स का फ्रेंच खाना.


मेज़बान को यह भी पता था कि छह मेहमानों मे से तीन शाकाहारी हैं खाना ऐसा कि अधिक कहना मुश्किल परंतु सिर्फ महसूस ही किया जा सकता है. ( शायद चित्र से कुछ कहाँ सकूं इसलिये कुछ खाने के चित्र विशेष तौर पर ).